मानव जीवन केवल जीने की महज़ एक जैविक प्रक्रिया नहीं है। यह चेतना, साहस और संघर्ष की एक सतत यात्रा है। इतिहास गवाह है कि जब-जब इंसान जागा है, तब-तब उसने अन्याय और शोषण की जंजीरों को तोड़ा है। लेकिन जागना केवल पहला कदम है, असली मंज़िल तक पहुँचने के लिए ज़रूरी है - जूझना। यही मानवता की असली यात्रा है - जागने से लेकर जूझने तक।
जागरण की आवश्यकता क्यों?हर अंधकार की जड़ है - अज्ञान और उदासीनता। जो समाज अपनी हालत को स्वाभाविक मान लेता है, वह बदलाव की राह पर नहीं बढ़ सकता। जागरण का अर्थ है...