गुरूवार, मार्च 27, 2025

चर्चा-समीक्षा

भगत सिंह की विचारधारा और आज का भारत: क्या हम उनके सपनों का देश बना पाए?

भगत सिंह और आज की चुनौतियां भगत सिंह को 23 मार्च, 1931 को फांसी की सजा दी गई थी और अपनी शहादत के बाद वे हमारे देश के उन बेहतरीन स्वाधीनता संग्राम सेनानियों में शामिल हो गये, जिन्होने देश और...

मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा: आदिवासियों के अनमोल नायक की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि!

आज 20 मार्च 2025 को हम उस महान विभूति को याद करते हैं, जिन्होंने न केवल खेल के मैदान में भारत का नाम रोशन किया, बल्कि संविधान सभा के मंच से लेकर जंगलों और सड़कों तक आदिवासियों के अधिकारों...

ईश्वर पर सवाल उठाने वाला भगत सिंह का दिल छू लेने वाला लेख: “मैं नास्तिक क्यों हूं?”

लाहौर, 27 सितंबर 1931 (प्रकाशित: द पीपुल अखबार)लेखक: भगत सिंह भारत के वीर सपूत और आजादी के दीवाने भगत सिंह ने जेल की कालकोठरी में बैठकर एक ऐसा लेख लिखा, जो आज भी हर दिल को झकझोर देता है। यह लेख...

भाषा विवाद: एकता का ढोंग या बंटवारे की साजिश?

भाषा के प्रश्न पर और खास तौर पर क्षेत्रीय अस्मिता के मुद्दे पर दक्षिण भारत एक बार फिर गर्म हो रहा है। इसका उबाल तमिलनाडु में विशेष रूप से ज्यादा है, जहां पहले भी 1960-70 के दशकों में भाषाई प्रश्न...

राजद्रोह कानून: सत्ता का हथियार या न्याय का मजाक?

इसे भाजपा की धुलाई मशीन का करिश्मा कहना, शायद इसमें निहित हमारी संवैधानिक व्यवस्था के क्षय को कम कर के आंकना होगा। इससे पता चलता है कि नरेंद्र मोदी के राज में राजद्रोह जैसे गंभीर और पटेल नेता के...

मन चंगा तो कठौती में गंगा: संत रविदास का वो चमत्कार जिसने जाति के बंधन तोड़कर बदल दी समाज की सोच!

संत रविदास: एक चमत्कार जो सिखाता है मन की पवित्रता और समानता का पाठ जानिए कैसे एक मिट्टी के बर्तन में प्रकट हुई गंगा ने बदल दी भक्ति और समाज की परिभाषा! बनारस: "मन चंगा तो कठौती में गंगा"—यह कोई मिथक...

अमेरिका की बेड़ियों में जकड़ा भारत और मिमियाते हुक्मरान

"भारत की भूमि पर भारतीयों का ऐतिहासिक अपमान!"5 फरवरी को भारत ने भारत की जमीन पर भारतियों का जो अपमान देखा, वह इतिहास में शायद ही पहले कभी देखा हो। जानवरों की तरह हथकड़ियों में बंधे, बेड़ियों में जकड़े...

अधूरा न्याय: आरजी कर मामले में सवालों के घेरे में कोलकाता पुलिस, सीबीआई और राज्य प्रशासन!

आरजी कर मामले में सियालदाह कोर्ट के फैसले ने कोलकाता पुलिस, राज्य प्रशासन और सीबीआई की भूमिका पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। संजय रॉय को हत्या और बलात्कार के मुख्य अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया है...

“मुफ्त” की राजनीति: विकास की डगर या लोकतंत्र की दरार?

"रेवड़ी संस्कृति, लोकतंत्र की परीक्षा और मतदाता का विवेक!" चुनावी मौसम में मतदाताओं के दरवाजे पर दस्तक देने वाली मुफ्त योजनाएं अब भारतीय राजनीति का एक अहम हिस्सा बन गई हैं। जहां एक ओर ये योजनाएं गरीब वर्ग को राहत...

स्थानीय बनाम बाहरी उम्मीदवार: क्या जनता निर्दलीयों को देगी मौका?

"राजनीतिक उठापटक और जनता की आवाज!" कोरबा (आदिनिवासी)। कोरबा नगरीय निकाय चुनाव में राजनीतिक दलों ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है और नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। लेकिन इस बार चुनावी मैदान में एक नई रोचक बात...

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विकास की धूल में खोई एक सड़क: कब बनेगा बेला-परसाखोला मार्ग?

कोरबा (आदिनिवासी)। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में एक ऐसी सड़क है, जो ग्रामीणों के लिए हर दिन एक नई...