गुरूवार, अक्टूबर 16, 2025

चर्चा-समीक्षा

राजद्रोह कानून: सत्ता का हथियार या न्याय का मजाक?

इसे भाजपा की धुलाई मशीन का करिश्मा कहना, शायद इसमें निहित हमारी संवैधानिक व्यवस्था के क्षय को कम कर के आंकना होगा। इससे पता चलता है कि नरेंद्र मोदी के राज में राजद्रोह जैसे गंभीर और पटेल नेता के...

मन चंगा तो कठौती में गंगा: संत रविदास का वो चमत्कार जिसने जाति के बंधन तोड़कर बदल दी समाज की सोच!

संत रविदास: एक चमत्कार जो सिखाता है मन की पवित्रता और समानता का पाठ जानिए कैसे एक मिट्टी के बर्तन में प्रकट हुई गंगा ने बदल दी भक्ति और समाज की परिभाषा! बनारस: "मन चंगा तो कठौती में गंगा"—यह कोई मिथक...

अमेरिका की बेड़ियों में जकड़ा भारत और मिमियाते हुक्मरान

"भारत की भूमि पर भारतीयों का ऐतिहासिक अपमान!"5 फरवरी को भारत ने भारत की जमीन पर भारतियों का जो अपमान देखा, वह इतिहास में शायद ही पहले कभी देखा हो। जानवरों की तरह हथकड़ियों में बंधे, बेड़ियों में जकड़े...

अधूरा न्याय: आरजी कर मामले में सवालों के घेरे में कोलकाता पुलिस, सीबीआई और राज्य प्रशासन!

आरजी कर मामले में सियालदाह कोर्ट के फैसले ने कोलकाता पुलिस, राज्य प्रशासन और सीबीआई की भूमिका पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। संजय रॉय को हत्या और बलात्कार के मुख्य अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया है...

“मुफ्त” की राजनीति: विकास की डगर या लोकतंत्र की दरार?

"रेवड़ी संस्कृति, लोकतंत्र की परीक्षा और मतदाता का विवेक!" चुनावी मौसम में मतदाताओं के दरवाजे पर दस्तक देने वाली मुफ्त योजनाएं अब भारतीय राजनीति का एक अहम हिस्सा बन गई हैं। जहां एक ओर ये योजनाएं गरीब वर्ग को राहत...

स्थानीय बनाम बाहरी उम्मीदवार: क्या जनता निर्दलीयों को देगी मौका?

"राजनीतिक उठापटक और जनता की आवाज!" कोरबा (आदिनिवासी)। कोरबा नगरीय निकाय चुनाव में राजनीतिक दलों ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है और नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। लेकिन इस बार चुनावी मैदान में एक नई रोचक बात...

कॉरपोरेट परस्त बजट: जनहित के सवालों से कोसों दूर, कॉरपोरेट हितों के लिए समर्पित!

जनता के सवालों के जवाब यूं कब तक छुपाए जाएंगे? बजट-पूर्व आर्थिक सर्वेक्षण ने 'विकसित भारत' के नाम पर निजीकरण और कॉर्पोरेटपरस्ती के जिस रास्ते की हिमायत की है, उसकी पूरी झलक आज पेश बजट में है। लेकिन हर...

राष्ट्रपति के अभिभाषण में छुपे झूठ: क्या सच में गरीबों और किसानों की बात कर रही है सरकार?

झूठ का पुलिंदा है राष्ट्रपति का अभिभाषण!राष्ट्रपति के द्वारा संसद में दिया जाने वाला वक्तव्य, जिसे राष्ट्रपति का अभिभाषण कहा जाता है, स्वयं उनके द्वारा लिखा गया वक्तव्य नहीं होता है। यह वक्तव्य उस सत्ताधारी पार्टी द्वारा लिखा जाता...

नेताजी सुभाष चंद्र बोस: हिंदुत्व के नहीं, धर्मनिरपेक्षता के समर्थक थे!

नेताजी की विरासत पर सियासी दावेदारी क्यों? "हिंदुत्व के समर्थक नहीं, विरोधी थे नेताजी!"ऐसा लगता है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का भारत के उपनिवेशवाद विरोधी राष्ट्रवादी नेतृत्व के प्रति प्यार उमड़ पड़ा हैं।...

सावित्री और फातिमा: सामाजिक न्याय और समानता की अमिट गाथा

"सामाजिक सुधार के लिए सावित्रीबाई फुले और फातिमा शेख का संघर्ष, जो आज भी प्रेरणा का स्रोत है।" सावित्री और फातिमा : एक अभिन्न जीवनसदियों से शक्तिशाली लोगों द्वारा राजनीतिक और वैचारिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ऐतिहासिक घटनाओं...

Latest News

बालको के सेवानिवृत्त कामगारों की हक और सम्मान की लड़ाई तेज़ — 15 अक्टूबर को एकता पीठ में होगी निर्णायक बैठक

स्थान: एकता पीठ परिसर, ऐक्टू यूनियन कार्यालय, बालकोनगर, कोरबासमय: प्रातः 11:30 बजे से कोरबा (आदिनिवासी)। बालको के सेवानिवृत्त श्रमिकों के...