"आदिवासी समुदायों के अधिकारों का मजबूत सहारा: जानिए संविधान की ऐसी धाराएं जो देती हैं उनको संरक्षण"
भारतीय संविधान ने आदिवासी समुदायों (अनुसूचित जनजातियों) के अधिकारों, संरक्षण और विकास के लिए अद्वितीय प्रावधान किए हैं। लेकिन अक्सर इनकी जानकारी की...
"मोदी सरकार को जवाब देना होगा"
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुआ दिल दहलाने वाला आतंकी हमला न केवल भारत के लिए एक त्रासदी है, बल्कि यह मानवता पर एक क्रूर वार है। इस हमले में 26 निर्दोष...
"फिल्म तो एक बहाना है, दरअसल देश में गुलामगिरी फिर से लाना है!"
फुले फिल्म को लेकर जिस तरह का तूमार खड़ा किया जा रहा है, वह सिर्फ उतना नहीं है, जितना दिखाया या बताया जा रहा है : कि...
नोटबंदी के बाद मोदी सरकार का दावा था कि आतंकवाद की कमर तोड़ दी गई है। संविधान के अनुच्छेद-370 को खत्म करते हुए दूसरा दावा था कि आतंकवाद की जड़ को खत्म कर दिया गया है। संसद में इस सरकार...
लोकतंत्र का गला घोंटने पर आमादा भाजपा सरकारें
भारत को दुनिया के लोकतंत्र की माँ बताते हुए, असहमतियों का सम्मान करने का दावा करते हुए गाल कितने भी बजाये जाएँ, मगर असलियत में तानाशाही के पैने नाखून संविधान के साथ-साथ...
डॉ. अम्बेडकर संविधान निर्माता माने जाते हैं। निस्संदेह वे ड्राफ्टिंग कमेटी के चेयरमैन थे और विराट बहुमत से चुने गए थे। संविधान में उनकी विजन - नजरिये - का महत्वपूर्ण योगदान है। किन्तु उन्हें यहीं तक सीमित रखना उनके...
भगत सिंह और आज की चुनौतियां
भगत सिंह को 23 मार्च, 1931 को फांसी की सजा दी गई थी और अपनी शहादत के बाद वे हमारे देश के उन बेहतरीन स्वाधीनता संग्राम सेनानियों में शामिल हो गये, जिन्होने देश और...
आज 20 मार्च 2025 को हम उस महान विभूति को याद करते हैं, जिन्होंने न केवल खेल के मैदान में भारत का नाम रोशन किया, बल्कि संविधान सभा के मंच से लेकर जंगलों और सड़कों तक आदिवासियों के अधिकारों...
लाहौर, 27 सितंबर 1931
(प्रकाशित: द पीपुल अखबार)लेखक: भगत सिंह
भारत के वीर सपूत और आजादी के दीवाने भगत सिंह ने जेल की कालकोठरी में बैठकर एक ऐसा लेख लिखा, जो आज भी हर दिल को झकझोर देता है। यह लेख...
भाषा के प्रश्न पर और खास तौर पर क्षेत्रीय अस्मिता के मुद्दे पर दक्षिण भारत एक बार फिर गर्म हो रहा है। इसका उबाल तमिलनाडु में विशेष रूप से ज्यादा है, जहां पहले भी 1960-70 के दशकों में भाषाई प्रश्न...