मंगलवार, फ़रवरी 18, 2025

किसान सभा की अगुआई में चार घंटे की खदान बंदी के बाद गांवों में पहुंचा पानी

Must Read

बोर खनन के लिए कल होगा सर्वे

कोरबा (आदिनिवासी)। छत्तीसगढ़ किसान सभा की अगुआई में खनन प्रभावित ग्राम बरभांठा और पंडरीपानी के ग्रामीणों ने तत्काल टैंकरों के माध्यम से पीने का पानी देने, नया बोरखनन करने और गांव के मुख्य तालाब का गहरीकरण करके उसमें पानी भरने की मांग करते हुए चार घंटे से ज्यादा तक गेवरा खदान में उत्पादन ठप्प कर दिया। इस आंदोलन की चेतावनी किसान सभा ने एक सप्ताह पूर्व ही प्रबंधन को दे दी थी, इसके बावजूद एसईसीएल प्रबंधन पेयजल समस्या को हल करने के प्रति उदासीन रहा।

उल्लेखनीय है कि गेवरा खदान में कोयला के खनन के कारण दोनों गांवों में जल स्तर काफी नीचे जा चुका है, जिसके कारण प्रभावित ग्रामीणों को पानी के लिये काफी भटकना पड़ रहा है। निस्तारी और मवेशियों के लिए भी जल संकट है। किसान सभा का आरोप है कि एसईसीएल प्रबंधन को केवल मुनाफे से मतलब है और आम जनता को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने में उसकी कोई रूचि नहीं है।

पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार सैकड़ों ग्रामीण आज गेवरा खदान में घुस गए और जल संकट का समाधान करने की मांग को लेकर उत्पादन ठप्प कर दिया। भारी पुलिस बल की मौजूदगी भी आंदोलनकारियों को खदान में घुसने से नहीं रोक पाई। इससे एसईसीएल को करोड़ों रुपयों का नुकसान उठाना पड़ा है। इस आंदोलन से कोल सेक्शन का कार्य भी प्रभावित हुआ है।

खदान से आंदोलनकारी ग्रामीणों के न हटने की स्थिति में एसईसीएल प्रबंधन ने तुरंत बरभांठा और पंडरीपानी में पानी का टैंकर पहुंचाया और ग्रामीणों से वार्ता की। प्रबंधन ने आश्वासन दिया है कि प्रतिदिन दोनों गांवों में टैंकरों के माध्यम से जल की आपूर्ति की जाएगी और गांव में पानी की समस्या के स्थाई हल के लिए नया बोर खनन और तालाब का गहरीकरण के लिए कल एसईसीएल के अधिकारी गांव का सर्वे करेंगे। यह भी आश्वासन दिया गया है कि इन गांवों में प्रत्येक दस घरों के बीच एक सिंटेक्स टैंक लगाया जाएगा, जिससे ग्रामीणों को 24 घंटे पानी मिलना संभव होगा।

नारेबाजी करते प्रभावित ग्रामीण

किसान सभा नेताओं प्रशांत झा, जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू, जय कौशिक, दामोदर, जगदीश कंवर, रामायण कंवर, सरिता कंवर, सविता, दिलहरण बिंझवार, पुरषोत्तम, रघु, सत्रुहन, लखपत, रेशम और राधेश्याम के साथ जगदीश कंवर, विश्वास सिंह, महेश, दुर्गा पाटले, सुशील आदि ग्रामीण खदान बंद आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे।

- Advertisement -
  • nimble technology
Latest News

बालको चिमनी हादसा: 15 साल बाद न्याय की उम्मीद, आज अहम सुनवाई!

कोरबा (आदिनिवासी)। 23 सितंबर 2009 की वह काली रात आज भी कोरबा के लोगों के ज़हन में ताज़ा है,...

More Articles Like This