रविवार, दिसम्बर 8, 2024

गौठानों से गांव-गांव में पशुधन के लिए सुरक्षित हो गई जमीन

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गोधन न्याय योजना: गोबर बेच पशुपालकों को मिले 12.76 करोड़

गोबर बेच मिले पैसों से रमेश कुमार ने पूरा किया मकान, तो पार्वती यादव ने भरी ट्रैक्टर की किश्त

रायगढ़ (आदिनिवासी)। कृषि प्रधान छत्तीसगढ़ में जहां 70 प्रतिशत से अधिक आबादी गांवों में निवास करती है। श्रम शक्ति का बड़ा हिस्सा खेती-किसानी में लगा है। ऐसे में ग्रामीण अर्थव्यवस्था का सुदृढ़ीकरण बेहद महत्वपूर्ण है। छत्तीसगढ़ सरकार मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में इस दिशा में लगातार कार्य कर रही है। शासन की राजीव गांधी किसान न्याय योजना के साथ ही बहुउद्देशीय गोधन न्याय योजना इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
आज गांवों में गौठानों के निर्माण से वहां की रिक्त भूमि पशुधन के लिए सुरक्षित हो गई है। गौठानो में पशुओं के लिए चारे और पानी की व्यवस्था की जाती है। इसके साथ ही ये गौठान आजीविका केंद्र के रूप में भी विकसित हुए हैं। गौठान में पूरे देश में अपने तरह की अनूठी गोधन न्याय योजना संचालित है। जिसमें किसान और पशुपालक गोबर विक्रय कर लाभ कमा रहे हैं। पूरे जिले में गोधन न्याय योजना की शुरुआत से अब तक करीब 12 करोड़ 76 लाख रुपए पशुपालकों को गोबर बेच कर प्राप्त हुए हैं।

गोधन न्याय योजना का लाभ सिर्फ पशुपालकों को ही नहीं मिल रहा है। बल्कि इससे जैविक कृषि को बढ़ावा दिया जा रहा है। जिसके लिए गौठानो में वर्मी कंपोस्ट का निर्माण किया जा रहा है।
इसके साथ ही गौठानो में आजीविका संवर्धन के लिए विभिन्न गतिविधियां भी चलाई जा रही हैं। जिससे जुड़कर महिला समूह कई तरीके के नए कार्य भी सीख रही है। कुटीर उद्योगों की भांति विभिन्न प्रकार के उत्पाद तैयार कर रही हैं। सब्जी उत्पादन का कार्य कर रही हैं। सिलाई, रेशम धागा रीलिंग, अचार, बड़ी, पापड़ जैसे गृह उत्पाद बना रही हैं। फ्लाई ऐश ब्रिक, मशरूम उत्पादन, जुट बैग बनाने जैसे कामों में हाथ आजमा रही हैं। जिसके विपणन की व्यवस्था भी सी मार्ट के माध्यम से की गई। इसके साथ ही लोकल मार्केट लिंकेज का काम भी किया जा रहा है।

गोबर बेच मिले पैसों से पूरा किया मकान, भरी ट्रैक्टर की किश्त

शासन की योजनाएं लोगों को कैसे सशक्त बनाती हैं, कैसे उन्हें अपने सपने पूरा करने में मदद करती हैं, इसका उदाहरण गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों में देखने को मिलता है। धरमजयगढ़ विकासखंड के बासाझार के पशुपालक हैं रमेश कुमार बघेल। उन्होंने योजना से अब तक 01 लाख रुपए कमाए हैं। जिसका उपयोग उन्होंने अपने मकान का निर्माण पूरा करने में किया है। इसी प्रकार उदउदा की पार्वती यादव को योजना से 77 हजार रुपए मिले हैं। जिसका उपयोग उन्होंने घर में खेती किसानी के लिए ट्रैक्टर की किश्त चुकाने में किया।

पर्यावरण को सहेजने पैरादान की हुई शुरुआत

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आह्वान पर किसानों द्वारा खेतों में पराली को जलाना बंद कर गौठानों में पैरादान करने जैसे पर्यावरण हितैषी परंपरा की शुरुआत हुई। जो गौठान में पशुधन के लिए चारे के काम आता है। इस कदम से खेतों में पैरा को जलाने से पर्यावरण और खेत की मिट्टी को होने वाले नुकसान से बचाव के साथ ही पशु आहार की भी व्यवस्था हो रही है। गत वर्ष खरीफ फसल के पश्चात बड़े पैमाने पर किसानों ने पैरादान किया। किसानों द्वारा 2 लाख 22 हजार क्विंटल पैरा दान जिले के गौठानों में किया गया।

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