रायपुर/बिलासपुर (आदिनिवासी)। छत्तीसगढ़ प्रदेश में 42 जनजातीय समुदाय निवासरत हैं जो अपने परंपरा, रीति-रिवाज, प्रथा, आस्था और बोली भाषा को जीवंत बनाये रखें हुए हैं जिन्हें हम समेकित रूप में आदिम संस्कृति के रूप में जानते है। यह ज्ञात हुआ है कि आदिमजाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान ने विभिन्न जनजातीय परम्पराओं को जो मौखिक और व्यवहारिक रूप में प्रचलित है, लेकिन वह कहीं लिखित रूप में संरक्षित नहीं है। उसके संरक्षण, संवर्धन और अभिलेखीकरण के कार्य का बीड़ा उठाया है, वह बहुत ही प्रशंसनीय है, लेकिन आदिवासी समाज के कुछ समुदाय को यह आशंका है कि उनकी परंपरा और संस्कृति को समुचित और सम्मानित स्थान नहीं दिया जा रहा है और ना ही कभी दिया जाएगा।
इस मुद्दे को लेकर श्रीमती शम्मी आबिदी (आई.ए.एस) आयुक्त आदिम जाति कल्याण विभाग छत्तीसगढ़ प्रशासन एवं संचालक आदिमजाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान नया रायपुर, से उनके कार्यालय में भेंट कर समाज के आशंकाओं से अवगत कराया गया। सर्व आदिवासी समाज जिलाध्यक्ष बिलासपुर तथा कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष की और से ज्ञापन भी दिया गया।
इस अवसर पर बिलासपुर से जिलाध्यक्ष के साथ मुनिलाल मरावी अध्यक्ष आदिवासी पंचायत 22 जनजाति समुदाय, अमृतलाल मरावी उपाध्यक्ष युवा प्र.सीपत परिक्षेत्र, योगेश नेताम, प्रताप नेताम, महासमुंद जिलाध्यक्ष एवं छत्तीसगढ़ गोंडवाना गोंड महासभा के प्रदेश अध्यक्ष युवा प्रभाग भीखम सिंह ठाकुर और उनके साथी विनोद कुमार दीवान, बिरेन्द्र ठाकुर, हिर्देराम दीवान, मोतीराम कुमार, गजानंद भोई, गनेश सिदार, उदल सिदार, मेघनाथ भोई, गिरधारी भोई, लम्बोदर मलिक आदि उपस्थित रहे।