ग्रामीणों की लाशों पर खड़े किए जा रहे मुनाफे की माल: किसान सभा का आरोप
कोरबा (आदिनिवासी)। छत्तीसगढ़ किसान सभा और भूविस्थापित रोजगार एकता संघ ने बरसों पुराने भूमि अधिग्रहण के बदले लंबित रोजगार प्रकरण, मुआवजा, पूर्व में अधिग्रहित जमीन की वापसी, प्रभावित गांव के बेरोजगारों को खदान में काम देने, महिलाओं को स्वरोजगार, पुनर्वास गांव में बसे भूविस्थापितों को काबिज भूमि का पट्टा देने आदि मांगों को लेकर कल 17 अक्टूबर को कलेक्ट्रेट कार्यालय का महाघेराव करने की घोषणा की है।
इस घेराव में 40 से अधिक गांवों के ग्रामीणों के शामिल होने की संभावना है। ग्रामीणों की लामबंदी के लिए न्याय यात्रा निकाली गई है, जिसने बैठकों, सभाओं और पर्चा वितरण के जरिए ग्रामीणों से सघन संपर्क किया है। जिला प्रशासन और एसईसीएल के आश्वासन से थके भूविस्थापितों ने किसान सभा के नेतृत्व में अब आर-पार की लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है।
किसान सभा के जिला सचिव प्रशांत झा ने आरोप लगाया है कि ग्रामीणों की बर्बादी और किसानों की लाशों पर जिला प्रशासन के सहयोग से इस क्षेत्र में एसईसीएल अपने मुनाफे के महल खड़े कर रहा है। उन्होंने कहा कि कोयला उत्खनन के लिए हजारों किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया है, लेकिन इसके बाद भी कांग्रेस-भाजपा की सरकारों ने, जिला प्रशासन और खुद एसईसीएल ने इन विस्थापित परिवारों की कभी सुध नहीं ली और आज भी वे रोजगार और पुनर्वास के लिए संघर्ष कर रहे हैं। किसान सभा नेता ने कहा कि किसान सभा भूविस्थापितों के चल रहे संघर्ष में हर पल उनके साथ खड़ी है।
आज कलेक्ट्रेट कार्यालय के महाघेराव को सफल बनाने के लिए 350 दिनों से चल रहे धरना स्थल पर भूविस्थापितों की बैठक हुई। भू विस्थापित रोजगार एकता संघ के अध्यक्ष रेशम यादव, दामोदर श्याम, किसान सभा के जिलाध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर,जय कौशिक आदि ने आंदोलन को सफल बनाने की अपील की है, ताकि सरकार और एसईसीएल की नीतियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ी जा सके। उन्होंने बताया कि
कलेक्ट्रेट घेराव आंदोलन को भूविस्थापितों के साथ ही आम जनता का भी व्यापक जनसमर्थन मिल रहा है तथा घेराव में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल होंगी।