गुरूवार, नवम्बर 21, 2024

खाद्य सुरक्षा अधिनियम के प्रधानमंत्री अन्न योजना में विलय का किसान सभा ने किया विरोध: कहा, इससे खाद्य असुरक्षा और बढ़ेगी

Must Read

रायपुर (आदिनिवासी)। छत्तीसगढ़ किसान सभा ने खाद्य सुरक्षा अधिनियम को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के साथ विलय करने का तीखा विरोध किया है और कहा है कि इससे देश में खाद्य सुरक्षा का दायरा सीमित होगा और गरीब जनता खाद्य असुरक्षा का सामना करेगी। इससे कुपोषण में तेजी से वृद्धि होगी।

आज यहां जारी एक बयान में छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते तथा महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा है कि गरीब कल्याण अन्न योजना के क्रियान्वयन की अवधि बढ़ाने से यह पता चलता है कि देश में भुखमरी और कुपोषण की समस्या कितनी गंभीर है। वास्तव में वैश्विक भुखमरी सूचकांक में भारत आज 107वें स्थान पर है और उसकी स्थिति दक्षिण एशियाई देशों में पाकिस्तान, बंगलादेश, नेपाल और श्रीलंका से भी बदतर है।

(छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते)

उहोंने कहा कि एक व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिए प्रति माह 11 किलो खाद्यान्न की जरूरत होती है, गरीब जनता जिसकी पूर्ति दोनों योजनाओं में मिल रहे अनाज के जरिए करती थी। लेकिन दोनों योजनाओं के विलय से खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत सब्सिडी दरों पर एक, दो और तीन रुपए किलो की दर से मिलने वाले अनाज से वंचित हो गई है। इस अनाज के लिए अब उसे बाजार में जाना पड़ेगा, जहां गेहूं 30 रूपये और चावल 40 रूपये प्रति किलो से ज्यादा की दर से बिक रहा हैं। साफ है कि गरीब कल्याण अन्न योजना के बहुप्रचारित शोर में गरीबों की खाद्य सुरक्षा को ही छीनने का काम किया गया है।

किसान सभा नेताओं ने दोनों – मुफ्त और सब्सिडी वाले खाद्यान्न – योजनाओं को जारी रखने की मांग की है, ताकि गरीब जनता को पहले की तरह ही खाद्य सुरक्षा की छतरी उपलब्ध कराई जा सके।

- Advertisement -
  • nimble technology
Latest News

बलौदाबाजार अग्निकांड: छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के अध्यक्ष दिलीप मिरी रायपुर से गिरफ्तार

कोरबा (आदिनिवासी)। बलौदाबाजार अग्निकांड, जिसे छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े प्रशासनिक विवादों में गिना जाता है, में छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के...

More Articles Like This