मंगलवार, सितम्बर 10, 2024

सीएमडी कार्यालय बिलासपुर के बाहर 13 अगस्त को भूविस्थापित किसानों का प्रदर्शन: रोजगार की मांगों पर घेराव!

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प्रत्येक खातेदार को रोजगार देना अनिवार्य: किसान सभा

कोरबा (आदिनिवासी)।  छत्तीसगढ़ किसान सभा और भूविस्थापित रोजगार एकता संघ ने घोषणा की है कि वे एसईसीएल के कुसमुंडा, गेवरा, दीपका, और कोरबा खदानों से प्रभावित किसानों के लंबित रोजगार प्रकरणों के समाधान के लिए 13 अगस्त को सीएमडी कार्यालय, बिलासपुर का घेराव करेंगे।

किसान सभा के प्रदेश संयुक्त सचिव प्रशांत झा ने बताया कि भूविस्थापित रोजगार के लंबित प्रकरणों के निराकरण की मांग करते-करते किसान अब थक चुके हैं और अपने अधिकारों को छीनने के लिए तत्पर हैं। विकास के नाम पर अपने गांव और जमीन से बेदखल किए गए इन विस्थापित परिवारों का जीवन स्तर सुधरने के बजाय और भी खराब हो गया है। 40-50 साल पहले कोयला उत्खनन के लिए हजारों एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था। कोयला खदानों के अस्तित्व में आने के बाद से ही विस्थापित किसानों और उनके परिवारों की स्थिति पर किसी सरकार या एसईसीएल ने ध्यान नहीं दिया है। विकास की नींव में इन परिवारों की अनदेखी की गई है, जहां कुछ लोगों को खानापूर्ति के नाम पर रोजगार और बसावट दी गई, पर जमीन का स्थायी रोजगार छिन लिया गया।

सरकार ने जमीन लेकर किसानों की जिंदगी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा छीन लिया है, इसलिए अब सरकार को जमीन के बदले प्रत्येक खातेदार को नौकरी देनी होगी। भूविस्थापित किसानों के पास अब संघर्ष के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा है।
किसान सभा के अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू, जय कौशिक ने कहा कि पुराने लंबित रोजगार मामलों पर एसईसीएल गंभीर नहीं है। किसान सभा भूविस्थापितों की समस्याओं को लेकर उग्र आंदोलन की तैयारी कर रही है।

भूविस्थापित रोजगार एकता संघ के नेता दामोदर श्याम, रेशम यादव, रघु यादव, और सुमेन्द्र सिंह कंवर ने कहा कि भूविस्थापितों को बिना किसी शर्त के जमीन के बदले रोजगार देना होगा और वे इस अधिकार के लिए अंतिम सांस तक लड़ेंगे।
भूविस्थापितों ने एसईसीएल प्रबंधन पर आरोप लगाया कि बिलासपुर मुख्यालय और क्षेत्रीय कार्यालय में वर्षों से रोजगार की फाइलों को रोक कर रखा गया है और हर बार झूठा आश्वासन देकर आंदोलन करने से रोका जाता है। इस बार, अनिश्चितकालीन हड़ताल की तैयारी है।

13 अगस्त के महाघेराव में सभी प्रभावित गांवों के हजारों पीड़ित भूविस्थापित परिवार शामिल होंगे और अपनी मांगों के लिए आवाज बुलंद करेंगे। 


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