सोमवार, अक्टूबर 14, 2024

सोमनाथ जी को साभार: चंद्रयान-3 के वैज्ञानिक को एक चिट्ठी

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आदरणीय सोमनाथ जी
सादर प्रणाम!
मैं कुशल हूं और आपकी कुशलता के लिए ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश से प्रार्थना करता हूं। चंद्रयान को चांद पर पहुंचाकर आपने देश का जितना यश बढ़ाया है, उसके लिए हम सब आपके आभारी हैं। (हालांकि राष्ट्रवादियों (?) का कहना है कि यह कारनामा मोदीजी ने किया है।) आपको पत्र लिखने का एक खास कारण यह है कि कोई भी देश अपने फार्मूले यानी तकनीक का खुलासा नहीं करता। परंतु, आपने 2000 से छिपाकर रखे गये इस फार्मूले को लीक कर दिया कि वेदों से विज्ञान के सिद्धांत आए हैं। इस फार्मूले को लीक होने से बचाने के लिए हजारों सालों से हमलोग गोबर-गोमूत्र में लिपटे रहे। फिर जब अमेरिका, रूस (सोवियत संघ भी कह सकते हैं) चीन आदि ने वेद पढ़-पढ़कर विज्ञान में काफी उन्नति कर ली और उपग्रह भेजना शुरू किया, तब हमें भी मजबूरी में भेजना पड़ा।
असली बात का खुलासा होते ही नासा ने अपने सेंटर को बंद कर उसे वेद अध्ययन केंद्र बना दिया है। अब अमेरिका के वैज्ञानिकों को सरकार पेंशन देने और वहां पर वेदज्ञाता पंडितों को रखने की योजना बना रही है। नासा के ऐसा करते ही पता चल गया कि आप वेदों के ज्ञान को लेकर न तो चापलूसी कर रहे थे और न ही डींग हांक रहे थे। न तो आप सदियों पुरानी अपनी जातीय श्रेष्ठता को स्थापित करने की साजिश को आगे बढ़ा रहे थे और न ही जातीय पेशा के आधार को मजबूत कर रहे थे।
यह अच्छा हुआ कि इसरो की स्थापना के समय से ही इसमें वैज्ञानिकों के बजाय वेदज्ञाता पुरोहितों को नियुक्त किया गया और पुरोहित वेदों से खोज-खोजकर विज्ञान निकालते रहे और एक से बढ़कर एक आविष्कार करते रहे। आपके बयान से यह पर्दा भी उठ गया कि कंप्यूटर का आविष्कार भी वेदों से ही हुआ है और अगले दो-तीन वर्षों में पूरी दुनिया संस्कृत में कंप्यूटर पर लिखने-पढ़ने लगेगी। यह जानकर हमें और भी खुशी हुई कि इसरो से नासा तक अब रिसर्च पेपर से लेकर एक्सेल शीट तक संस्कृत में ही बनाई जा रही है, क्योंकि यह भाषा कंप्यूटर को सबसे अधिक सूट करती है। कल ही पटना में बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स एवं सीए एसोसिएशन की बैठक हुई, जहां आपकी फोटो को साक्षी मानकर सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया कि अब ऑडिट का सारा कामकाज और रिपोर्ट संस्कृत में ही तैयार की जाएगी।
सोमनाथजी, आज हमलोग अपनी चारों ओर जहां नजर डालते हैं, हर मशीन-यंत्र के रूप में वेदों के ही दर्शन होते हैं, क्योंकि साइंस के सिद्धांत वेदों से आए हैं। वेदो के ज्ञाताओं ने ही कंप्यूटर के आविष्कार किये, मोबाइल बनाया, कार, मोटरसाइकिल, हवाई जहाज, जलपोत, कलम, वाशिंग मशीन, एसी, टीवी, इंटरनेट, तमाम सॉफ्टवेयर, फ्रीज, पंखे, बिजली, बल्ब आदि के आविष्कार किये हैं।
आज मैंने बगल से साइंस कॉलेज के छात्रों को बहुत खुश देखा। कारण पता चला कि अब उन्हें विज्ञान के अलग-्अलग ढेर सारे सिद्धांत याद नहीं करने पड़ेंगे। अब तो बहुत आसान हो गया है – पंखा किस सिद्धांत पर काम करता है तो वेदों के सिद्धांत पर, अंतरिक्षयान किस सिद्धांत पर काम करते हैं तो वेदों के सिद्धांत पर, कंप्यूटर किस सिद्धांत पर काम करता है तो वेदों के सिद्धांत पर; इसी तरह जवाब देना है। सुना है कि अब वहां फिजिक्स डिपार्टमेंट में इसी सत्र से बाकी किताबों को हटाकर वेदों की पढ़ाई शुरू करवा दी जाएगी। अन्य विभागों के लिए सिंडिकेट से प्रस्ताव पास कर कुलाधिपति के पास भेजा गया है। देश के तमाम आईआईटी संस्थानों ने तो आपके बयान वाले दिन ही सिलेबस बदलकर वेद कर दिया था।
प्रधानमंत्री भी राफेल के बदले भुगतान की गई रकम फ्रांस से वापस मांगने की सोच रहे हैं, क्योंकि हमारे साथ धोखाधड़ी हुई है। हमारी ही तकनीक से लड़ाकू विमान बनाकर हमें ही बेच दिया। धोखेबाज कहीं के!
सोमनाथजी, हमारा ख्याल है कि आज तक दुनिया में हुए तमाम आविष्कारों पर अपने पटेंट का दावा ठोक देना चाहिए। साथ ही, दुनिया के हर देश के नाम एक पत्र जारी करना चाहिए कि उनके यहां जिन आविष्कारों पर काम हो रहा है, वे पहले भारत से लाइसेंस लें, फिर काम करें। जुकरबर्ग ने तो कबूल भी कर लिया कि फेसबुक और इंस्टाग्राम के सॉफ्टवेयर उन्हें अथर्ववेद में मिले थे। आज नहीं तो कल एलन मस्क भी कबूल करेंगे ही। मेरे वाट्सएप पर पिछले सप्ताह से ही ऊपर लिखा आ रहा है – बेस्ड ऑन वेद्स।
सुना है कि जब तक इसरो में सभी पदों के लिए दक्ष वेदज्ञाता नहीं मिल जाते, तब तक वहां का सारा काम काशी के पुरोहित संभालेंगे। सुनने में बात आई है, लेकिन सच्चाई आप ही बता सकते हैं।
वेदमंत्रों की मदद से चंद्रयान की चांद पर सफल लैंडिंग की फिर से आपको और तमाम वेदपाठियों को बधाई !
आपका एक परमभक्त
– सुधीर

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