रविवार, दिसम्बर 8, 2024

श्रमिक समस्याओं और औद्योगिक प्रदूषण के सवाल पर छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा एवं ऐक्टू ने निकाली रैली, सौंपा ज्ञापन

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दुर्ग (आदिनिवासी)। रसमड़ा की सीमेंट कंपनी टाॅपवर्थ के 600 श्रमिकों को 15 महीने के वेतन का बकाया भुगतान, रायपुर स्टील सहित रसमड़ा औद्योगिक क्षेत्र के प्रदूषण पर रोक लगाने, एसीसी प्रबंधन द्वारा श्रमिकों को प्रताड़ित करने से रोकने तथा कचांदुर स्थित चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल से बिठाए गए स्वास्थ्य कर्मियों को अविलंब काम पर वापस लेने आदि मांगों को लेकर छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा और ऐक्टू के नेतृत्व में लगभग एक हजार से अधिक संख्या में मजदूरों ने गंज चौक दुर्ग में एकत्रित होकर दोपहर 12 बजे रैली निकाली जो जीई रोड होते हुए कलेक्ट्रेट, पटेल चौक, गांधी चौक होते हुए श्रम विभाग और कलेक्ट्रेट के सामने एक बड़ी सभा में तब्दील हो गई और धरना दिया जो शाम 4 बजे तक चला। रैली व धरना स्थल पर मजदूरों ने अपनी जायज मांगों के समर्थन में जमकर नारेबाजी की और शासन व प्रशासन को चेतावनी दी कि अगर उनके अधिकारों की रक्षा नहीं की गई और उनकी वाजिब मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार नहीं किया गया तो वे आगे बड़े आंदोलन करने को बाध्य होंगे।

धरना कार्यक्रम को छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष और ऐक्टू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कामरेड भीमराव बागड़े, छमुमो के उपाध्यक्ष ए जी कुरैशी, बीएसडब्ल्यू- ऐक्टू भिलाई के महासचिव श्याम लाल साहू, अध्यक्ष अशोक मिरी, ऐक्टू नेता व जनकवि वासुकी प्रसाद उन्मत्त, प्रगतिशील सीमेंट श्रमिक संघ के अध्यक्ष धनंजय शर्मा, सनत जंघेल, मोहम्मद अली, टाॅपवर्थ कंपनी के भोजराम साहू, साल्वेक्स रसमड़ा के दिलीप पारकर, क्रेस्ट स्टील जोरातराई के डेरहाराम साहू, सोना बेवरेज के जिम्मेदार साथी धरती राम साहू, आदि वक्ताओं ने संबोधित किया सभा का संचालन कामरेड तुलसी देवदास और पूनाराम साहू ने किया।

धरना-सभा को संबोधित करते हुए श्रमिक नेताओं ने कहा कि श्रमिकों के लंबे संघर्षों के चलते श्रमिक हितों के मद्देनजर शासन द्वारा श्रम कानून और उनके पालन के लिए श्रम विभाग तो बनाया गया है, लेकिन यह बड़ी विडंबना है कि श्रम विभाग के अधिकारी श्रमिक हितों की रक्षा करने के बजाय उद्योगपतियों के हितों की रक्षा कर रहे हैं। इसलिए औद्योगिक संबंध अधिनियम 1947 की धारा 25(एम) में प्रावधानित नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए मजदूरों को कंपनी के कामबंद के दौरान के 15 महीनों का वेतन जो प्रत्येक मजदूर का लगभग सवा लाख रूपये से अधिक बनता है और इस प्रकार कुल भुगतान राशि लगभग साढ़े छ: करोड़ रूपये की बनती है, कंपनी द्वारा उस पूरी राशि का गबन कर लिया गया है।

उन्होंने बताया कि औद्योगिक क्षेत्र रसमड़ा के लिए ग्रामीणों की जमीनें पूर्व मुख्यमंत्री स्व. मोतीलाल वोरा के निर्दश पर ली गई थी जिसमें यह भी निर्देशित था कि कंपनी में स्थानीय मजदूरों को काम मिलेगा, किंतु रायपुर स्टील सहित अनेक कंपनियों में स्थानीय बेरोजगारों को काम नहीं मिल रहा है। जबकि इन कंपनियों द्वारा फैल रहे प्रदूषण से आसपास के दसियों गाॅवों के नागरिक त्रस्त हैं और अन्यान्य बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। तालाबों व कुओं का पानी निस्तारी के लायक नहीं रह गया है। बावजूद इसके जिम्मेदार अधिकारी ए के व्ही एन सहित शासन-प्रशासन ने ऑखें मूंद रखी हैं।

उन्होंने यह भी बताया कि एसीसी सीमेंट कंपनी जामुल के प्रबंधन द्वारा मजदूरों के साथ भेदभाव कर उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। भिलाई औद्योगिक क्षेत्र में अधिकतर श्रमिक श्रम-अधिकारों से वंचित हो रहे हैं। इसलिए हमारी मांग है कि शासन स्तर पर तमाम श्रमि-संघों को शामिल कर कमेटी बनाई जाये और श्रम कानूनों का कड़ाई से पालन कराया जाये ताकि मजदूरों के शोषण व दमन पर पूरी तरह रोक लग सके।

आगे उन्होंने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा अधिग्रहीत कचांदुर स्थित अस्पताल व मेडिकल कॉलेज में बरसों से कार्यरत् सौ से अधिक स्वास्थ्य कर्मियों को पिछले 14 महीने से काम से बिठा दिया गया है और ठेकेदारों के माध्यम से नई भर्ती की जा रही है जो श्रम कानूनों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है। वक्ताओं ने शासन-प्रशासन-प्रबंधन को चेतावनी देते हुए कहा है कि समय रहते समस्याओं का उचित समाधान किया जाये अन्यथा मजदूर-किसान बड़े पैमाने पर आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। धरना स्थल पर माननीय मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन दुर्ग के कलेक्टर प्रतिनिधि को सौंपा गया।

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