शनिवार, जुलाई 27, 2024

सावधान: देश में लोकतंत्र नहीं बल्कि ब्राह्मण तंत्र चल रहा

Must Read

सबसे पहले तो यह समझना होगा कि भाजपा ब्राह्मणों की पार्टी है मोदी योगी सिर्फ प्यादे हैं जो सिर्फ उनके इशारे पर ब्राह्मण वादी व्यवस्था को मजबूत करने का काम करते हैं। ब्राह्मण वादी व्यवस्था क्या है? मनुस्मृति वर्णित वर्णव्यवस्था जिसमें शूद्रों को शिक्षा संपत्ति शस्त्र मान सम्मान का अधिकार नहीं है। एससी-एसटी ओबीसी ही शूद्र, अतिशूद्र हैं। जिन्हें पिछले सौ सालों से ब्राह्मण हिन्दू कहकर बरगला रहे हैं वे इन्हें हिन्दू कहते जरूर हैं, मानते हैं शूद्र ही। और ब्राह्मण शाही में शूद्रों के साथ कैसा व्यवहार होना चाहिए मनु-स्मृति में बताया गया है, सब उसी के अनुसार हो रहा है।

शूद्र समझते हैं भारत में लोकतंत्र है देश संविधान से चल रहा है। इसलिए उनके ऊपर अन्याय अत्याचार होने पर लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करते हैं, न्याय की मांग करते हैं, दोषियों को संविधान के अनुसार सजा की मांग करते हैं किन्तु यहीं वे चूक जाते हैं देश में लोकतंत्र नहीं अब ब्राह्मण तंत्र स्थापित हो चुका है और देश संविधान से नहीं अब मनु-स्मृति के नियमों से चल रहा है। ब्राह्मणों को यह ताकत अपना वोट देकर 85% शूद्रों ने ही दी है। कभी कांग्रेस की धर्मनिरपेक्षता के झांसे में आकर, कभी भाजपा के कट्टर हिन्दू वाद के झांसे में आकर।

अब तो ब्राह्मणों की ये पार्टियां ईवीएम से शूद्रों के वोटों पर डकैती डाल रही हैं। फिलहाल गलती तो हो चुकी है शूद्रों का शोषण उत्पीड़न हकमारी का दौर पिछले सत्तर सालों से चल रहा है यदि शूद्र नहीं जागे तो आगे भी चलता रहेगा। अब सवाल है कि रास्ता क्या है? रास्ता ज्योतिबा फुले ने बताया था, जाति भेद खत्म करो! मूर्ति पूजा बंद करो! ब्राह्मणों से संस्कार बंद करो! रामास्वामी पेरियार ने कहा था, जो धर्म तुम्हें नीच ठहराता है उसे लात मार दो!

बाबा साहेब ने तो बौद्ध धम्म के रूप में विकल्प भी दिया था और बाईस प्रतिज्ञाएं करने के लिए दी थीं। और भी बहुत सारे महापुरुषों ने शूद्रों को इस ब्राह्मणी मकड़जाल से बाहर निकालने के लिए आजीवन संघर्ष किया लेकिन दुख की बात है कि शूद्रों को ब्राह्मणों के बताए काल्पनिक भगवान देवी देवता अवतारों की कहानियां तो पता है लेकिन उनके लिए आजीवन संघर्ष करने वाले महापुरुषों के नाम भी नहीं मालूम उनके विचार तो दूर की बात और उन विचारों पर अमल करना तो और भी दूर की बात।

शूद्रों को इस शोषण उत्पीड़न से मुक्ति चाहिए तो भारत का शासक वर्ग बनना होगा शासक वर्ग बनने के लिए फुले साहू अम्बेडकर पेरियार आदि महापुरुषों की मानवता वादी वैज्ञानिकता वादी नैतिकता वादी विचार धारा को जानना होगा उन पर अमल करते हुए समाज को संगठित करना होगा।

ब्राह्मणी ग्रंथों की जगह घर घर में महापुरुषों की किताबें रखनी होंगी, ब्राह्मणी त्योहारों के बदले महापुरुषों की जयंतियां मनानी होंगी, मंदिर जाना, तीर्थ यात्रा करना बंद करके महापुरुषों के स्मृति स्थलों की यात्रा करनी होगी ढोंगी बाबाओं प्रवचनकारों ज्योतिषियों आदि से दूर रहकर वैज्ञानिकता वादी व तर्कवादी लोगों की संगत और वैसे ही साहित्य पढ़ने व बच्चों को पढ़ाने होंगे।

शूद्र बहुजन समाज जबतक अपने समतावादी महापुरुषों के विचारों का अनुसरण नहीं करेगा न ब्राह्मण वादी मकड़जाल से मुक्त हो पायेगा और न ही ब्राह्मण शाही को खत्म करके बहुजन शाही स्थापित कर पायेगा तब तक इस ब्राह्मण शाही में शूद्रों की कुटाई पिटाई जारी रहेगी।
आलेख : चन्द्र भान पाल (बी एस एस)


- Advertisement -
  • nimble technology
[td_block_social_counter facebook="https://www.facebook.com/Adiniwasi-112741374740789"]
Latest News

आदिवासी अधिकारों के लिए गुणपुर में विशाल सभा: शहीद दिवस और विश्व आदिवासी दिवस का आयोजन

गुणपुर (अदिनिवासी)। गुणपुर ब्लॉक के चालकम्भा गांव में 25 जुलाई 2024 को शाम 7 बजे एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित...

More Articles Like This