कोरबा (आदिनिवासी)। समाज में व्याप्त बुराइयों को समाप्त कर नशा मुक्त समाज की स्थापना के उद्देश्य से ग्राम लिटियाखार केंद्र में भाषीय गोंड महासभा का एक दिवसीय बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में सबसे पहले बूढ़ादेव और प्राकृतिक शक्ति की वंदना कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई। इसके बाद समाज की रीति-नीति, परंपराओं, बोली और भाषा पर चर्चा की गई, साथ ही समाज के विकास के लिए आवश्यक कदमों पर जोर दिया गया।
बैठक में विशेष रूप से युवाओं के शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार से संबंधित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया। युवाओं को बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के माध्यम से समाज को सशक्त बनाने की बात पर जोर दिया गया। इसके अलावा, रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देकर नशे जैसी सामाजिक बुराइयों से समाज को मुक्त करने का संकल्प लिया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता समार सिंह मरकाम ने की। मुख्य अतिथि कार्यवाहक सभापति लेखराम उइके ने अपने संबोधन में कहा कि समाज के युवा, यदि शिक्षा और रोजगार में आगे बढ़ें, तो नशे जैसी बुराइयों से दूर रहकर समाज को एक नई दिशा दी जा सकती है। अन्य प्रमुख अतिथियों में सोहन सिंह उइके, बलवान सिंह मरकाम, शंकर सिंह उइके, अरन ध्रुव, कैलाश सिंह, श्याम चंद्रिका प्रसाद, सुखदेव सिंह, धनंजय मरकाम और कीर्ति राजू उरेती ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
बैठक में उपस्थित सभी सदस्यों ने एकजुट होकर समाज के कल्याण और विकास के लिए कार्य करने का संकल्प लिया। इस बैठक में खासतौर पर समाज की संस्कृति, परंपराओं और भाषा की रक्षा पर भी जोर दिया गया।
यह बैठक समाज के लिए एक सकारात्मक पहल है, जिसका उद्देश्य नशे जैसी गंभीर सामाजिक बुराइयों से मुक्ति और युवाओं के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के बेहतर अवसर प्रदान करना है। यह बैठक सही दिशा में उठाया गया एक आवश्यक कदम है। युवाओं के भविष्य को संवारने और समाज को नशा मुक्त बनाने की दिशा में यह पहल अत्यधिक महत्वपूर्ण है
।सामाजिक रूप से यह कार्यक्रम न केवल एक बैठक थी, बल्कि समाज को सुधारने की दिशा में एक विचारशील और क्रियाशील प्रयास था। जहां तक पारदर्शिता और निष्पक्षता का सवाल है, कार्यक्रम में शामिल प्रमुख व्यक्तियों द्वारा समाज के हर वर्ग की समस्याओं पर खुलकर विचार किया गया, जो इस पहल को और अधिक महत्वपूर्ण बनाता है।इस तरह के आयोजनों से समाज के प्रति जागरूकता बढ़ती है और व्यावहारिक समाधान भी सामने आते हैं। ऐसे कार्यक्रमों का नियमित रूप से आयोजन समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकता है और युवाओं को एक सही दिशा प्रदान कर सकता है।
इस तरह के आयोजनों से समाज के प्रति जागरूकता बढ़ती है और व्यावहारिक समाधान भी सामने आते हैं। ऐसे कार्यक्रमों का नियमित रूप से आयोजन समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकता है और युवाओं को एक सही दिशा प्रदान कर सकता है।