मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस्तीफा दें
नई दिल्ली (आदिनिवासी)। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन ने बयान जारी कर कहा है कि मणिपुर की कूकी महिलाओं की बर्बर नग्न परेड व यौन हिंसा का वह वीडियो भाजपा के “डबल इंजिन शासन” की असलियत को उजागर कर संघ ब्रिगेड की भीड़ हिंसा की संस्कृति की खौफनाक सच्चाई को सामने ला रहा है।
प्रधानमंत्री की इतने दिनों तक की चुप्पी ने इस अपराध की गंभीरता को बढ़ा दिया है। अगर उन्हें सचमुच लग रहा है कि जो हुआ वह “शर्मनाक” है और “मणिपुर की बेटियों” को न्याय देंगे तो कम से कम मानवता के विरुद्ध हुए इन अमानवीय अपराधों और मणिपुर में शासन की पूर्ण विफलता के लिए मणिपुर के मुख्यमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री से तत्काल इस्तीफा देने को कहें।
दो कुकी महिलाओं पर भीड़ द्वारा यौन हमले की वीभत्स घटना का सामने आया वीडियो 04 मई का है। मणिपुर के कांगपोकपी जिले में यह घटना उस वक्त घटित हुई, जब ये महिलाएं अपने परिजनों के साथ, उनके गांवों को आग लगाती भीड़ से बचने के लिए नजदीकी इलाके में जाने की कोशिश कर रही थी। इन महिलाओं के कपड़े उतार दिये गए और इन्हें नग्न अवस्था में घूमने के लिए मजबूर किया गया। इन महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार, ‘बदले’ की कार्यवाही के तौर पर किया गया। रिपोर्ट तो यह भी है कि इन बलात्कार पीड़ित महिलाओं के पुरुष परिजनों की भीड़ ने हत्या कर दी है। पुलिस या मणिपुर सरकार द्वारा इस भयावह घटना के मामले में बिना कार्यवाही किये दो महीने से अधिक बीत गए। सोशल मीडिया पर घटना का वीडियो वायरल होने के बाद एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया।
मणिपुर मई के महीने से जल रहा है, लगभग 150 लोगों की मौत हो चुकी है और जातीय हिंसा के चलते हज़ारों लोग अपनी जगहों से उजड़ चुके हैं। हिंसा भड़कने का तात्कालिक कारण मणिपुर उच्च न्यायालय का वह आदेश बना, जिसमें बहुसंख्यक मैती समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की बात कही गई थी। मणिपुर और केंद्र सरकार, मणिपुर के लोगों, खास तौर पर आदिवासियों की रक्षा करने में विफल रहे हैं।
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह, कुकी- जो समुदाय को विदेशी बताने वाले विमर्श को आगे बढ़ाते हुए, खुद भी आदिवासियों के खिलाफ घृणा फैलाने में शामिल हैं।
गुजरात की सांप्रदायिक हिंसा के मास्टरमाइंड के तौर पर पहचाने जाने वाले और बहुसंख्यकों द्वारा की जाने वाली हिंसा के आरोपियों को बचाने के लिए ( कु) ख्यात केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर का एक औपचारिक दौरा किया था। लेकिन मणिपुर में तब से अब तक हिंसा निर्बाद्ध रूप से जारी है। जो भाजपा अपने नागरिकों के जीवन में तांकझांक की व्यवस्था कुशलता पूर्वक संचालित करती है, दमन के जरिये प्रतिरोधों को खामोश करती है, छात्रों, महिलाओं, आदिवासियों, दलितों, मुसलमानों पर कठोर पुलिस दमन ढाहती है, वो मणिपुर में हिंसा नहीं रोक सकती, यह अविश्वसनीय है!
अब यह स्पष्ट है कि जब किसी राज्य में अपनी डबल इंजन सरकार चलाती है तो दंगे, बलात्कार और हत्याएं शासन करने का माध्यम बन जाते हैं।
उत्तर पूर्व में नृजातीय और सांप्रदायिक हिंसा भड़काना भाजपाई शासन का एक और चिन्ह है।
वो बिल्किस बानो हो या गुजरात के मुस्लिम विरोधी दंगों में यौन हिंसा झेलने वाली कोई और महिला, मुज़फ्फरनगर दंगों की बलात्कार पीड़ित महिलाएं हों या फिर मणिपुर में भीड़ हिंसा और सामूहिक बलात्कार की शिकार महिलाएं हों- हर मामले में महिलाओं के शरीर थे, जिनको “बदले” की आग का शिकार बनाया गया। इनमें से अधिकांश मामलों में बहुसंख्यावादी स्त्रीद्वेषी हिंसा के अपराधियों को बचाने में राज्य की संस्थाएं बेहद सक्रिय रूप में शामिल रही हैं। न्याय के लिए सामूहिक संघर्ष के जरिये ही पुलिस को अपराधियों पर कार्यवाही के लिए विवश किया जा सका है।
वक्त और हालात का तकाज़ा है कि एकजुट हो कर कांगपोकपी की वीभत्स घटना के अपराधियों के खिलाफ तत्काल कार्यवाही की मांग की जाए।
21 जुलाई को पूरे देश में प्रतिवाद दिवस मनाया जाए और एकजुट हो कर मांग करें
🔺 सभी अपराधियों की तत्काल शिनाख्त कर, गिरफ़्तारी हो. “अज्ञात ” भीड़ के नाम पर उन्हें बचाने की हर कोशिश का पर्दाफाश और प्रतिरोध करें।
🔺 मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस्तीफा दें।
🔺 हिंसा और बलात्कार की ऐसी तमाम घटनाओं की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच दल भेजा जाए, जिसमें महिलावादी वकील शामिल हों. उक्त जांच दल, ऐसी सभी घटनाओं में मणिपुर पुलिस की कार्यवाही का जरूर संज्ञान लें।