झारखंड (आदिनिवासी)। राष्ट्रीय आदिवासी समन्वय समिति भारत के समन्वयक श्री देवकुमार धान ने देश भर के आदिवासी संगठन प्रमुखों को सूचित करते हुए बताया है कि भारत देश के जनगणना प्रपत्र में आदिवासियों के लिए अलग धर्म कॉलम की माँग करने में किसी एक धर्म के नाम पर पूरे देश के आदिवासियों में सहमति नहीं बन पा रही है। जिसके कारण धर्म कॉलम का मामला केन्द्र सरकार के समक्ष आदिवासी समाज मजबूती से नहीं रख पा रहा है। अलग-अलग धर्म कॉलम मांगने से आदिवासी समाज कमजोर पड़ रहा है।
24.12. 2023 को राष्ट्रीय आदिवासी (इंडिजिनीयस) धर्म समन्वय समिति भारत एवं राष्ट्रीय आदिवासी समन्वय समिति भारत की संयुक्त बैठक गाँधी पीस फाउण्डेशन नई दिल्ली में हुई जिसमें सर्व सहमति से निर्णय लिया गया कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार सरना धर्म 50 लाख लोग, गोंडी धर्म 10 लाख लोग एवं सारी धर्म 5 लाख लोग लिखे हैं।
बैठक में तय किया गया कि तीनों धर्म के धर्म अगुवाओं को 27 जनवरी 2024 को समय 10 बजे पूर्वाहन गाँधी पीस फाउण्डेशन, पं० दीन दयाल उपाध्याय मार्ग, नई दिल्ली में आहूत बैठक में आमंत्रित किया जाए, ताकि एक सर्वमान्य नाम पर सहमति बन सके। अतः आप सभी धार्मिक अगुवागण, सामाजिक अगुवागण से अनुरोध है कि इस बैठक में उपस्थित होकर समाज को मजबूती प्रदान करने में सहयोग करने का कष्ट करें।
ध्यान रहे कि दो सत्रों में आयोजित इस बैठक के प्रथम सत्र में आदिवासियों के लिए अलग धर्म के नाम पर सहमति हेतु धर्म अगुवाओं के साथ बैठक होगी तथा द्वितीय सत्र में 750 आदिवासी समूदाय को एकजुट करने हेतु पूरे देश के आदिवासी सामाजिक संगठनों के साथ बैठक कर रणनीति बनाया जाएगा।