रविवार, सितम्बर 8, 2024

छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज द्वारा आयोजित विशाल धरना प्रदर्शन स्थगित: न्यायिक सुनिश्चिति और मांगों की पूर्ति के पश्चात शांतिपूर्ण समाधान

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बिलासपुर (आदिनिवासी)। छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज रायपुर की अगुवाई में छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज जिला इकाई बिलासपुर ने हाल ही में समाज में घटित दो घटनाओं का संज्ञान लिया था:

1. सरकंडा थाने में तैनात हवलदार स्वर्गीय लखन सिंह मेश्राम द्वारा की गई आत्महत्या की घटना।
2. ग्राम बीजा, तहसील तखतपुर में ग्राम कोटवार द्वारा किया गया द्वेषपूर्ण ट्रैक्टर से कुचलने का मामला।

प्रथम घटना में, सर्व आदिवासी समाज जिला इकाई बिलासपुर ने दोषियों के खिलाफ तत्काल कठोर कार्रवाई की मांग की। समाज के बढ़ते आक्रोश और दबाव को देखते हुए, जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई की। मृतक के पुत्र कृष्णकांत को अनुकंपा नियुक्ति पत्र समाज प्रमुखों के समक्ष प्रदान किया गया।

दूसरे मामले में, शासन प्रशासन से उक्त कोटवार को निलंबित करके पद से बर्खास्त करने की मांग की गई थी। शासन प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए कोटवार को निलंबित कर दिया और उसे पद से बर्खास्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी। साथ ही, पीड़ित व्यक्ति को इलाज और आर्थिक सहायता का भी आश्वासन दिया गया।
उपरोक्त घटनाओं को शासन प्रशासन ने गंभीरता से लिया और उचित मांगों को तत्काल पूरा किया। इसलिए, सामाजिक संगठन सर्व आदिवासी समाज संतुष्ट है। इसी कारण से, 18 जून 2024 को छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज जिला इकाई बिलासपुर द्वारा नेहरू चौक में आयोजित विशाल एवं उग्र धरना-प्रदर्शन को स्थगित कर दिया गया है।

इस पूरे मामले में श्री राजीव ध्रुव (प्रदेश महासचिव, छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज युवा प्रभाग), जिला इकाई बिलासपुर के जिलाध्यक्ष सियाराम नेताम जी, उपाध्यक्ष गिरधारी नेटी, ब्लॉक अध्यक्ष मस्तूरी देव सिंह पोर्ते, उपाध्यक्ष श्रीमती शशि ध्रुव, सचिव मुकुंद नेताम, कोषाध्यक्ष धनेश्वर नेताम, जिला अध्यक्ष युवा प्रभाग लव सिदार, नगर अध्यक्ष जंतु मरकाम, संरक्षक वेदसिंह मरकाम, पी एस पट्टा, डी पी भूपाल, उदयभान उईके, उपाध्यक्ष संतोष टोप्पो, नितिन प्रधान (ब्लॉक अध्यक्ष तखतपुर), राजाराम पोर्ते जी (ब्लॉक अध्यक्ष बिल्हा), राम अवतार ध्रुव (सचिव) और अन्य लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। 

छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज द्वारा त्वरित न्यायिक सुनिश्चिति और उचित मांगों की पूर्ति के लिए किए गए कठोर प्रयासों का प्रशासन द्वारा सकारात्मक रूप से जवाब दिया गया है। शांतिपूर्ण वार्ता और न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से एक सुलझा हुआ समाधान प्राप्त हुआ है। यह घटना आदिवासी समुदाय के प्रति  प्रशासन की संवेदनशीलता और उनके जायज हितों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है। जो कि एक अच्छी पहल है।


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