ऐक्टू का आह्वान: LIC के निजीकरण का विरोध करें
नई दिल्ली (आदिनिवासी)। दूसरे कम्पनियों को खरीदने, वित्तीय संकट से उबारने, देश के विद्युत व आधारभूत संरचना के विकास में योगदान देने वाली LIC को मोदी सरकार बेच रही है।
विश्व की 5 वीं सबसे बड़ी बीमा कंपनी जो पूरी तरह सरकार की कम्पनी है और इसका बीमा क्षेत्र में 75% की हिस्सेदारी है, 29 करोड़ पालिसी धारकों वाली LIC का मार्केट वैल्यू मोदी सरकार ने 71.56 अरब डॉलर आंका है। पिछले वित्तीय वर्ष 31 मार्च 2021 की समाप्ति तक एलआईसी के पास 28.3 करोड़ बीमा और 10.35 लाख एजेंटों के साथ नए व्यापार प्रीमियम में 66% बाज़ार की हिस्सेदारी रही है।
100% सरकारों हिस्सेदारी वाली LIC का 5% शेयर (31.6 करोड़ शेयर) बेच कर मोदी सरकार 63 हज़ार करोड़ रुपये जुटाने जा रही है। अगले 3 वर्षों में LIC का 25% हिस्सेदारी बेचने की मोदी सरकार की योजना है। बेचकर हासिल होने वाले 63 हजार करोड़ रुपया में से 1 रुपया भी सरकार LIC को नही देगी बल्कि खुद रखेगी लेकिन निजीकरण से सामने आने वाले निजी निवेशकों की सारी जवाबदेही LIC की होगी। संसद में सनक भरे तर्क देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कहती है कि “अभीतक LIC सिर्फ़ भारत सरकार के सामने जवाबदेह थी. मगर ‘आईपीओ’ जारी होने से अपने निवेशकर्ताओं के लिए भी इसे जवाबदेह होना पड़ेगा”।
वर्ष 1956 में जब LIC का राष्ट्रीयकरण हुआ तब तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और वित्त मंत्री सी वी देशमुख ने राष्ट्रीयकरण के पक्ष में तर्क दिया था कि इससे बीमा कंपनियों द्वारा किये जाने वाले घपले पर अंकुश तो लगेगा ही साथ ही लोगों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करते हुए देश के विकास में भी इसका बड़ा योगदान रहेगा।
सच्चाई है कि दूसरे कम्पनियों को खरिदने वाली LIC को बेचा जा रहा है। पॉलिसीधारकों के 99% मामले का सेटलमेंट करने वाली LIC अकेली सरकारी बीमा कम्पनी है जबकि निजी बीमा क्षेत्र का रिकॉर्ड बहुत बुरा है।
इसके अलावे अलग-अलग कंपनियों को वित्तीय संकट से उबारने के लिए एलआईसी के पैसे लगाए जाते रहे हैं, उसके अलावा सरकार को एलआईसी से 10, 500 करोड़ रुपये सिर्फ़ टैक्स के ज़रिये पिछले वित्तीय वर्ष में मिले हैं जबकि 2889 करोड़ रुपये ‘डिविडेंड’ के ज़रिये मिले हैं।
LIC का लगभग 36 लाख करोड़ रूपए विभिन्न विकास परियोजनाओं में पूंजी लगे हुए हैं वहीं एलआईसी की अपनी संपत्ति 38 लाख करोड़ रूपए के आसपास है.वर्ष 2015 में जब ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (ओएनजीसी) ने अपना आईपीओ जारी किया था तो एलआईसी के 1.4 अरब डॉलर उसमें लगाए गए।
उसी तरह क़र्ज़ में डूबे ‘आईडीबीआई बैंक’ को उबारने में भी एलआईसी की अहम भूमिका रही.वर्ष 2020 मार्च महीने तक विभिन्न विद्युत् परियोजनाओं में एलआईसी के 24803 करोड़ रुपये लगाए गए हैं, आवासीय परियोजनाओं में 9241 करोड़ रुपये लगाए हैं जबकि विभिन्न आधारभूत संरचनाओं को विकसित करने की परियोजनाओं में 18253 करोड़ रुपये निवेश किए हैं।
पहले बीमाधारकों को फायदा पहुँचाने का काम एलआईसी करती थी, अब वो बदल जाएगा और अब निवेशकों को फ़ायदा पहुंचाने पर फोकस किया जाएगा.LIC का निजीकरण आर्थिक रूप से देश के सबसे मज़बूत संस्थान को ख़त्म करने जैसा है।
LIC के निजीकरण का विरोध करें।