कोरबा (आदिनिवासी) कोरबा जिले में रहने वाली विशेष पिछड़ी जनजातियों – पहाड़ी कोरवा और बिरहोर समाज – के शिक्षित युवा रोजगार की तलाश में संघर्ष कर रहे हैं। इन समुदायों के 12वीं, 10वीं और 8वीं पास युवाओं को स्थायी नौकरियों के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ रहा है।
इन जनजातियों को “राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र” कहा जाता है। केंद्र और राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ के प्रत्येक जिले में हर विभाग में स्वीकृत पदों के 20% पर इन वर्गों के शिक्षित युवाओं को स्थायी रोजगार देने का निर्देश दिया है।
कोरबा जिले में अब तक
– 42 बारहवीं पास युवाओं को सहायक शिक्षक पद के लिए पात्र पाया गया है।
– 77 दसवीं और आठवीं पास युवाओं को अन्य पदों के लिए योग्य माना गया है।
जिले के शिक्षा विभाग में 3,000 सहायक शिक्षक पद स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 20% (लगभग 600 पद) इन वर्गों के लिए आरक्षित होने चाहिए। हालांकि, केवल 354 पद ही इन समुदायों के युवाओं के लिए उपलब्ध हैं।
वर्तमान में, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग द्वारा इन युवाओं को केवल 8,000 रुपए मासिक वेतन पर अतिथि शिक्षक के रूप में नियुक्त करने का निर्देश दिया जा रहा है। इसी तरह, चौकीदार पद पर इन्हें मात्र 6,000 रूपये प्रति माह दिया जा रहा है, जो कि सरकारी निर्देशों का उल्लंघन प्रतीत होता है।
इस मुद्दे को लेकर, पहाड़ी कोरवा समाज के जिला अध्यक्ष फिरतू राम और अखिल भारतीय सतनामी युवा कल्याण समिति के प्रदेश अध्यक्ष मनीराम जांगड़े के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने 20 जून को कोरबा जिले के प्रभारी मंत्री एवं उपमुख्यमंत्री अरुण साव को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने इस विसंगति को दूर करने और इन वर्गों के शिक्षित युवाओं को स्थायी नौकरियां देने की मांग की।
श्री साव ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि इस मामले पर शीघ्र कार्रवाई की जाएगी।