मंगलवार, फ़रवरी 18, 2025

ईसाई आदिवासियों पर लगातार हो रहे हमले के सवाल को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार के नाम माकपा ने सौंपा ज्ञापन: सुरक्षा की मांग

Must Read

रायपुर (आदिनिवासी) भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) छत्तीसगढ़ ने कांकेर, नारायणपुर क्षेत्र में ईसाई आदिवासियों पर हो रहे हमलों की घटनाओं पर राज्य सरकार और प्रशासन की उपेक्षा पर तीव्र रोष व्यक्त करते हुए इन कृत्यों के लिए दोषियों पर तत्काल कड़ी कानूनी कार्रवाई की मांग की है।

माकपा राज्य समिति ने एक बयान जारी कर कहा कि माकपा की पोलित ब्यूरो सदस्य कामरेड बृंदा करात के नेतृत्व में एक दल के दौरे के बाद पार्टी की ओर से पूरे मामले में एक विस्तृत ज्ञापन मुख्यमंत्री और गृह मंत्री को सौंपा गया था। इसमें इस पूरे मामले में जनजाति सुरक्षा मंच और भाजपा, संघ की भूमिका और घटनाओं का विवरण देते हुए प्रभावितों को मुआवजे की भी मांग की गई थी लेकिन इस पर तो कोई कार्रवाई में हुई। उल्टे ईसाई आदिवासियों के खिलाफ दुष्प्रचार और हमले की घटना अभी भी जारी है।

माकपा ने कहा कि कांकेर जिले के आमाबेड़ क्षेत्र में अभी भी कई घटनाएं ऐसी हुई हैं, जिसकी जानकारी उनके द्वारा ज्ञापन के जरिए 24 फरवरी को जिलाधीश, कांकेर को भी दी गई है. इसी तरह नारायणपुर जिले के रेमावंड में एक महिला सुनेरी, जिसके घर में दिसंबर में हमला किया गया था, उसे अर्धनग्न कर जलील किया गया था, उसे अपने गांव में अपने ही ही बाड़ी में रखे उसके अनाज की मिंजाई करने या उसे उठाने से रोका गया। इसकी दो बार कामरेड बृंदा करात और कामरेड धर्मराज महापात्र ने 12 फरवरी और 23 फरवरी को जिलाधीश नारायणपुर को देने के बाद वहां पुलिस बल जरूर भेजा गया, लेकिन उसके अनाज उसे उपलब्ध कराने का समाधान नहीं हो पाया है।

इसी तरह कांकेर, नारायणपुर, कोंडागांव से यह हमला पूरे प्रदेश के अलग-अलग जिले में ईसाई आदिवासी समुदाय के खिलाफ चलाया जा रहा है. 18 फरवरी को बालोद जिले में ग्राम साकरी में एक व्यक्ति त्रिभुवन निषाद की पेड़ गिरने से मौत के बाद ईसाई विश्वासी होने के कारण उसे मृत्यु के बाद भी अपनी ही जमीन पर दफनाने नहीं दिया गया. गुण्डरदेही पुलिस को शिकायत के बाद भी अंततः मृतक का शव बालोद लाया गया. एक दिन मरचुरी में रखा गया और उसके बाद बालोद के मसीही कब्रिस्तान में ही उन्हें दफनाया गया.

माकपा राज्य कमेटी ने कहा है कि एक ओर कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन सांप्रदायिक ताकतों से लड़ने और सबकी सुरक्षा की बात करता है और दूसरी ओर प्रदेश में ईसाई आदिवासी समुदाय के विरुद्ध चलाए जा रहे इस असंवैधानिक और गैरकानूनी घृणा के संघी अभियान पर राज्य सरकार और प्रशासन की उदासीनता उनकी कथनी करनी में अंतर को स्पष्ट करता है।

माकपा के द्वारा इस मामले में राज्य सरकार से तत्काल कड़ी कार्रवाई कर दोषियों को दंडित करने और ईसाई आदिवासियों के जान माल की सुरक्षा के पर्याप्त कदम उठाने की मांग की गई है।

- Advertisement -
  • nimble technology
Latest News

बालको चिमनी हादसा: 15 साल बाद न्याय की उम्मीद, आज अहम सुनवाई!

कोरबा (आदिनिवासी)। 23 सितंबर 2009 की वह काली रात आज भी कोरबा के लोगों के ज़हन में ताज़ा है,...

More Articles Like This