रायपुर/बस्तर (आदिनिवासी)| छत्तीसगढ़ को प्रकृति ने हरियाली और वनों का अनमोल उपहार दिया है, जिसे देश का ‘ऑक्सीजन ज़ोन’ कहा जाता है। यही संदेश राज्य के वन मंत्री केदार कश्यप ने बस्तर जिले के आत्मानंद उत्कृष्ट हिंदी माध्यम शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला, जामावाड़ा में आयोजित जिला स्तरीय वन महोत्सव में दिया।
उन्होंने कहा कि बस्तर की धरती उनके लिए गर्व का विषय है, जहाँ जन्म लेने का सौभाग्य मिला। वनों को हमारे पूर्वजों ने न केवल जीवन-निर्वाह का साधन माना बल्कि उसे सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर के रूप में संरक्षित किया। आज यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि हम वनों की रक्षा करें और आने वाली पीढ़ियों को इसके महत्व से अवगत कराएँ।
वन मंत्री श्री कश्यप ने जानकारी दी कि भारत सरकार की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ वनाच्छादन में वृद्धि के मामले में पूरे देश में पहले स्थान पर है। पिछले कुछ वर्षों में प्रदेश में 68,000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में हरियाली बढ़ी है। यह उपलब्धि केवल सरकार या विभाग की नहीं, बल्कि पूरे समाज की साझा जिम्मेदारी और प्रयासों का परिणाम है।
इस अवसर पर मंत्री श्री कश्यप ने किसान वृक्ष मित्र योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2023-24 और 2024-25 के 1,483 हितग्राहियों को कुल 92 लाख रुपये की राशि के चेक वितरित किए। उन्होंने कहा कि इस योजना से किसानों की आमदनी बढ़ाने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण को भी बल मिलेगा।
कार्यक्रम में एक भावनात्मक पहल भी देखने को मिली। जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान के तहत विद्यालय परिसर में पौधारोपण किया। इस पहल का उद्देश्य है कि हर परिवार अपनी माँ के नाम से एक पेड़ लगाकर उसे जीवनभर संजोए।
वन महोत्सव में विधायक किरण सिंह देव, चित्रकोट विधायक विनायक गोयल, बेवरेज कॉरपोरेशन के अध्यक्ष श्रीनिवास राव मद्दी, नगर निगम सभापति खेम सिंह देवांगन, जनप्रतिनिधि वेद प्रकाश पांडे और रूप सिंह मंडावी सहित वरिष्ठ वन अधिकारी सीसीएफ आर. दुग्गा उपस्थित रहे।
बड़ी संख्या में ग्रामीणों, महिलाओं और स्कूली बच्चों की भागीदारी ने इस आयोजन को उत्सव का स्वरूप दिया।
छत्तीसगढ़ में वन केवल हरियाली का प्रतीक नहीं बल्कि जीविकोपार्जन, संस्कृति और अस्मिता का आधार हैं। वनाधिकार, लघु वनोपज और किसान हितैषी योजनाएँ यह सिद्ध करती हैं कि राज्य सरकार पर्यावरण और आजीविका के बीच संतुलन स्थापित करने के लिए प्रयासरत है।
लेकिन यह भी जरूरी है कि योजनाओं का लाभ वास्तव में ज़मीनी स्तर तक पहुँचे। पारदर्शिता, त्वरित कार्यान्वयन और स्थानीय सहभागिता ही इस पहल को दीर्घकालीन सफलता दिला सकती है।
वन महोत्सव केवल पौधारोपण का कार्यक्रम नहीं, बल्कि प्रकृति के प्रति आभार और जिम्मेदारी का प्रतीक है। आज जब दुनिया जलवायु संकट से जूझ रही है, तब छत्तीसगढ़ का संदेश स्पष्ट है –
“वन बचाएँ, भविष्य बचाएँ, और हरियाली को पीढ़ियों तक पहुँचाएँ।”