रविवार, सितम्बर 8, 2024

CG: फर्जी जाति प्रमाण पत्र मुद्दे के खिलाफ, निर्वस्त्र आंदोलनकारियों को 56 दिनों की जेल के बाद मिली जमानत

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रायपुर (आदिनिवासी)। छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन विधानसभा भवन के सामने निर्वस्त्र प्रदर्शन/आंदोलन करने वाले एसटी/एससी समुदाय के युवकों को 56 दिनों के जेल की सजा के बाद कल रात जमानत पर रिहा किया गया है। उनके स्वागत में चांपा-जांजगीर, बिलासपुर मुंगेली तथा अन्य जिलों से सैकडों समर्थक और परिजन 30-40 वाहनों में जेल पहुंचे थे। रात करीब 10 बजे जेल से बाहर निकले युवक सीधे कलेक्टोरेट चौक स्थित अंबेडकर प्रतिमा स्थल पर पहुंचे और बाबा साहब को श्रध्दांजलि देने के बाद वहां से रवाना हुए।
विगत 18 जुलाई को, प्रदेश में फर्जी जाति प्रमाण पत्र पर नौकरी कर रहे अधिकारियों कर्मचारियों पर प्रशासनिक कार्रवाई नहीं करने के विरोध में राजधानी की सड़क पर इन आदिवासी युवाओं के निर्वस्त्र प्रदर्शन/आंदोलन ने पूरे देश को यकबयक चौंका दिया था।

शासन और प्रशासन की किरकिरी होने के बाद पुलिस ने सभी को गिरफ्तार कर लिया। उस दौरान पुलिस ने इन सभी के ऊपर पूर्व में भी आपराधिक मामले दर्ज होने को लेकर बयान भी जारी किया था। छत्तीसगढ़ प्रदेश के अनुसूचित जाति, जनजाति समुदाय के सभी युवाओं के मन में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए प्रदेश में नौकरी करने वालों के प्रति आक्रोश है। इनकी मांग थी कि जाति बदलकर नौकरी करने वालों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाए। इससे पहले युवाओं ने एक प्रेस रिलीज भी जारी की थी और प्रशासन को अल्टिमेटम भी दिया गया था।
पुलिस ने 29 आरोपियों को गिरफ्तार कर अपराध संख्या 213/23 धारा 146 (गैरकानूनी रूप से एकत्र होकर हिंसा करना), 147, 353, 332, 294 और 67 (ए) आईटी एक्ट के तहर केस दर्ज कर जेल भेज दिया था।

कोर्ट ने जमानत देते हुए आदेश में कहा है कि “मामले के तथ्यों और परिस्थितियों, अपराध की प्रकृति, अभियोजन पक्ष द्वारा एकत्र की गई सामग्री को ध्यान में रखते हुए, विशेष रूप से, यह विरोध का विषय है।
इसमें कई लोग आरोपी थे, लेकिन केवल 29 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया। दंड प्रक्रिया संहिता-1973 की धारा 41ए का अनुपालन नहीं किया गया। मुकदमे में कुछ समय लग सकता है, आरोप-पत्र भी दायर नहीं किया गया है और आवेदक 18/07/2023 से जेल में हैं। मैं आवेदकों को नियमित जमानत पर रिहा करने का इच्छुक हूं।”ज्ञात हो कि 25 जुलाई को मानसून सत्र के पहले दिन विधानसभा के सामने एसटी-एससी वर्ग के युवाओं ने निर्वस्त्र प्रदर्शन किया था। प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी करने के मामले में कार्रवाई की जाए।

निर्वस्त्र प्रदर्शन करने वाले सभी 29 युवाओं को हिरासत में लेकर पुलिस मंदिर हसौद थाना ले गई थी। युवाओं के प्रदर्शन के बाद छत्तीसगढ़ में फर्जी जाति प्रमाण-पत्र मामले में सरकार का सख्त रवैया देखने का मिला। मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने 16 विभाग के अधिकारियों की बैठक लेकर फर्जी प्रमाणपत्र के सहारे नौकरी करने वालों को बर्खास्त करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही कोर्ट में लंबित प्रकरणों (नग्न प्रदर्शन के मामले) में जल्द सुनवाई पर जोर दिए जाने समेत विभागों में लंबित प्रकरणों पर भी तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।


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