लगने को तो अनेक को लग सकता है कि हमारे प्रधानमंत्री जी बड़े विनोदी हैं, मजाकिए भी हैं। हालांकि अगर ऐसा लगता है तो कोई अजीब बात भी नहीं। ऐसा लगना सिर्फ अनुमान नहीं है, इसमें भरी-पूरी सच्चाई है। इसके...
बात 2014 की है। प्रधानमंत्री का अभी सेहरा बांधने के निशान मिटे भी नहीं थे - संसद की सीढियां उन पर बहाए गए आंसुओं से अभी भी गीली थी... और जिस तरह नयी नयी साईकिल सीखने वाला चौराहे की...
दिसम्बर 2019 में पास किये गये भेदभावकारी और विभाजनकारी अन्यायपूर्ण नागरिकता संशोधन कानून को लागू करने वाली नियमावली की अधिसूचना 2024 चुनावों की अधिसूचना आने से ठीक पहले जारी करना एक राजनीतिक साजिश का संकेत है। जैसा कि अमित...
विगत 01 से 03 मार्च तक भारत ने जो देखा, वह एक धनकुबेर द्वारा अपने वैभव का अश्लील मुजाहिरा ही नहीं था, बल्कि अपनी सम्पन्नता की विपुलता का सहारा लेकर देश की सभ्यता और उसमे बसी मनुष्यता के प्रति...
भाजपा के सुप्रीमो युगपुरुष मोदी जी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि देश की जनता जब उनसे प्रधानमंत्री – जिस रूप में वे शायद ही कभी रहे हों - के नाते खेत के बारे में कुछ जानना चाहती...
(व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा)भई कोई कुछ भी कहे, दुनिया में डंका तो बज ही रहा है। और कैसे नहीं बजता। जब मोदी जी बजवा रहे हैं, तो डंका तो बजना ही था। आखिर, मोदी की गारंटी है, डंका बजने की।...
किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने वाले कानून की अक्सर सुनी जाने वाली आलोचनाओं का जवाब है यह लेख। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की प्रणाली 1960 के दशक से अस्तित्व में आई है और इसका उद्देश्य...
"सिर्फ (राम) मंदिर ही नहीं बना है, बल्कि प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले दस साल में व्यावहारिक रूप से राम राज्य की अवधारणा को लागू कर दिया है।" ये शब्द हैं, नई-दिल्ली में 17-18 को हुई भाजपा की भीमकाय राष्ट्रीय...
बाकी भले देश की माली और समाजी दरो-दीवारों पर सब्जा उग रहा हो और सारी उम्मीदें बयाबां में मुंह छुपाये खड़ी हों, घर में भारत रत्नों की बहार-सी जरूर आयी दिख रही है। अभी वर्ष का दूसरा महीना ढंग से...
वर्ष में दो दिन - स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त और गणतंत्र दिवस 26 जनवरी - ऐसे होते हैं, जब देश में जैसे तिरंगे की बहार आ जाती है। दफ्तरों में, सडकों पर, दुकानों में, घरों पर, स्कूली बच्चों के...