हरेली के एक महीने बाद भाद्रपद अमावस्या को मनाया जाता है पोरा पर्व, बच्चों को दी जाती है पारंपरिक शिक्षा
छत्तीसगढ़, जिसे 'धान का कटोरा' कहा जाता है, यहां की लोकसंस्कृति में पोरा तिहार का विशेष स्थान है। इस पर्व...
छत्तीसगढ़ के मांझी समाज के लिए उड़ीसा के संबलपुर स्थित समलाई दाई मंदिर का विशेष महत्व है। यह मंदिर न केवल मांझी समाज की कुलदेवी का स्थान है, बल्कि इसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व भी आदिवासी समाज के लिए अत्यधिक...
महारानी दुर्गावती गोंडवाना साम्राज्य की एक अद्वितीय वीरांगना थीं, जिन्होंने अपने साहस, पराक्रम और बलिदान से इतिहास में अमिट छाप छोड़ी। आज उनके बलिदान दिवस पर हम उनके जीवन और संघर्ष की गाथा को स्मरण करते हैं।
महारानी दुर्गावती का...
"गौरी लंकेश ने यह रिपोर्ट मूलरूप से अंग्रेजी में लिखी थी जो वेब पोर्टल "बैंगलोर मिरर" में 29 फरवरी, 2016 को प्रकाशित हुई थी। जिसे adiniwasi.com अपने वेबसाइट "आदिनिवासी" में आज साभार प्रकाशित कर रहा है।"एक दैत्य अथवा महान...
24 जून को अमरीका के केनेडी सेंटर में बोलते हुए जब नरेन्द्र मोदी भारत में हर सप्ताह एक नई यूनिवर्सिटी, हर दो दिन में एक नया कालेज, हर दिन एक नई आईटीआई औए हर साल एक नया आईआईटी और...
रानी दुर्गावती मरावी जो कि गोंडवाना साम्राज्य की वीरांगना थीं। उनका जन्म 05 अक्टूबर 1524 को कालिंजर के राजा कीरत राय चन्देल 'द्वितीय' के यहाँ हुआ था। उनका विवाह दलपत शाह मरावी से हुआ था। जो कि गोंडवाना साम्राज्य...
तुम्हारी हैवानियत का विरोध करने वाली स्त्रियों को तुमने कुलटा अथवा राक्षसी बताकर उन पर हैवानियत की हदें पार कींउनका बलात्कार कर उन्हें ही लांक्षित कर समाज से निष्कासित किया और खुद देवराज कहलाएउनके नाक-कान काट डाले यही नहीं,...
अनेक लोग हैं जो कार्ल मार्क्स के धर्म संबंधी विचारों को विकृत रूप में व्याख्यायित करते हैं। वे मार्क्स की धर्म संबंधी मान्यताओं को गलत देखते हैं फिर सभी मार्क्सवादियों पर हमला आंरंभ कर देते हैं। सवाल यह है...
छत्तीसगढ़ (आदिनिवासी)। आदिवासियों के भाग्यविधाता, प्रथम राजनीतिक गुरु माननीय जयपालसिंह मुँडा साहब के जन्मदिन 03 जनवरी के अवसर पर सम्पूर्ण भारत के आदिवासी समुदाय को वैचारिक कार्यक्रम आयोजित करना होगा। इसी प्रकार के आयोजनो की निरँतरता से ही भारत...
15 अक्टूबर 1934 को बांबे विधान परिषद में पहली बार देवदासी प्रथा के खिलाफ विधेयक पारित किया गया और इस रोक लगाने की सरकारी कोशिशें हुईं। यह सब बहुत पहले की बात नहीं है। वर्तमान में भी यह प्रथा...