नौजवान आईएएस और आईपीएस बन रहे हैं। लेकिन इस मुगालते में मत रहिएगा कि ये नव नियुक्त बच्चे सरकारी अधिकारी बनने के बाद गरीब वंचित लोगों के अधिकारों के लिए भ्रष्ट सरकारी व्यवस्था से लड़ जायेंगे।
कल्पना भी मत करिये कि कोई नई आईपीएस अधिकारी कहेगी कि मैं सोनी सोरी के गुप्तांगों में पत्थर भरने वाले बदमाश अधिकारी के खिलाफ़ रिपोर्ट दर्ज़ कर दूंगी।
कोई अधिकारी ये नहीं कहेगी कि लाओ सामूहिक बलात्कार की दलित पीडिता भंवरी देवी को उन्नीस साल बाद न्याय दिलाने के लिए मैं पहल करती हूँ।
कोई अधिकारी नहीं कहेगा कि गाँव वाले लोगों की ज़मीनें छीनने वाले पुलिस वालों को अब से मैं ऐसा नहीं करने दूंगा।
उलटे मेरा अनुभव है कि दलित,आदिवासी और अल्पसंख्यक वर्गों से गए हुए नौजवान भी भयानक दमन और अत्याचार करने और पैसा कमाने में शामिल हो जाते हैं।
दंतेवाड़ा में दलित वर्ग से आयी हुई एक कलेक्टर नियुक्त हुई थी।
पुलिस वालों द्वारा किये गए सामूहिक बलात्कार पीड़ित छह आदिवासी पीड़ित लड़कियों ने मेरे साथ जाकर उस महिला कलेक्टर के पास जाकर लिखित शिकायत करी थी कि हमें डर है कि हम पर दुबारा हमला किया जाएगा आप हमें बचाने के लिए कार्यवाही कीजिये।
उस महिला कलेक्टर के पास शिकायत करने के बाद इन आदिवासी लड़कियों का बलात्कारी पुलिस वालों का दुबारा अपहरण कर लिया और दुबारा थाने में ले जाकर पांच दिन तक भूखा रख कर पिटाई करी।
लेकिन उस दलित महिला कलेक्टर ने इन लड़कियों को बचाने के लिए कोई कार्यवाही नहीं करी।
बाद में पत्रकारों के सवालों का जवाब देते समय उस दलित महिला कलेक्टर ने कहा कि मैं तो कभी भी हिमांशु कुमार या इन लड़कियों से मिली ही नहीं।
जबकि मैं कई बार उस कलेक्टर से मिला था और मेरे पास उसके सबूत भी हैं।
बाद में उस महिला कलेक्टर का नाम आदिवासियों की ज़मीन घोटाले में आया था।
वह महिला कलेक्टर आदिवासियों की ज़मीनों को गैर आदिवासियों को देने के लिए धड़ाधड़ इजाज़त देती थी।
इसके अलावा भी मैं अनेकों आदिवासी अल्पसंख्यक अधिकारियों से न्याय की गुहार लेकर मिला।
लेकिन वो सब अधिकारी भी सरकारी लूट को ही आगे बढाते रहे।
किसी ने भी पीड़ितों की मदद नहीं करी।
इसलिए आज जब लोग अपनी ज़ात के लोगों के यूपीएससी में टाप करने की खुशियाँ मनाते हैं तो मेरा दिल गहरी उदासी से भर जाता है।
मैं जानता हूँ कि हमारी तरफ से कुछ और नौजवान गरीबों को लूटने वाले दुश्मनों की तरफ चले गए हैं।
-हिमांशु कुमार