शनिवार, जनवरी 4, 2025

आदिवासी गोंड समाज का वार्षिक सम्मेलन: प्रकृति शक्ति बूढ़ादेव की आस्था का उत्सव

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कोरबा (आदिनिवासी)। प्रकृति के प्रति गहरी आस्था और श्रद्धा रखने वाले आदिवासी गोंड समाज ने ग्राम बेला कछार (बालको), कोरबा में 29 दिसंबर को अपने वार्षिक सम्मेलन का आयोजन किया। यह आयोजन प्रकृति शक्ति बूढ़ादेव की पूजा-अर्चना और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ किया गया। सम्मेलन में समाज की सांस्कृतिक धरोहर को प्रस्तुत करते हुए परंपराओं और आदिवासी जीवनशैली की झलक देखने को मिली।

शोभायात्रा और पूजा-अर्चना का भव्य आयोजन
सुबह की शुरुआत भव्य शोभायात्रा से हुई, जिसमें स्वजातीय बंधुओं ने पारंपरिक वेशभूषा में प्रकृति शक्ति बूढ़ादेव की मूर्ति का शोभायात्रा के माध्यम से स्वागत किया। इस दौरान जय सेवा, जय बूढ़ादेव के नारे गूंजते रहे। शोभायात्रा के बाद समाज के सभी सदस्यों ने सामूहिक रूप से बूढ़ादेव की पूजा-अर्चना की।

मुख्य अतिथि श्रीमती जे. बी. कारपे ने इस अवसर पर कहा, “आदिवासी समाज का जीवन प्रकृति से गहराई से जुड़ा हुआ है। उनकी सरलता और प्रकृति के प्रति सम्मान इस समाज की विशेषता है।”
मुख्य अतिथि और अन्य गणमान्य व्यक्तियों का बाजे-गाजे के साथ जोरदार स्वागत किया गया। आदिवासी नृत्य और पारंपरिक गीतों से सजी सांस्कृतिक प्रस्तुति ने सभा का माहौल और भी जीवंत बना दिया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता दानिक राम मरावी ने की, जबकि अन्य विशिष्ट अतिथियों में एम. सिंह कुशरो, पार्वती नेताम, सरस्वती छेदेया, और संतोष गोंड शामिल थे।

सम्मेलन में बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के सदस्य उपस्थित हुए, जिनमें महिलाएं, पुरुष और युवा पीढ़ी ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। सभी ने एकजुटता और समाज के सांस्कृतिक मूल्यों को संरक्षित करने का संकल्प लिया।

विशेष रूप से उपस्थित गणमान्य
महादेव नेताम, सुख राम नेताम, पवन मरकाम, केजा राम मरकाम, शशि किरण, प्रियंका, अंजनी, दुर्गा, दिज्ञासा, और शिव पोर्ते सहित अन्य प्रमुख नाम भी इस अवसर पर मौजूद रहे।
इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य आदिवासी गोंड समाज की परंपराओं को संरक्षित करना, नई पीढ़ी को समाज के सांस्कृतिक मूल्यों से जोड़ना और समाज में एकता और सहिष्णुता को बढ़ावा देना था।

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