शुक्रवार, नवम्बर 22, 2024

प्रदेश की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिकायें 03 दिवसीय हड़ताल पर, कहा: बंधुआ मजदूरी नहीं करेंगे, लाठीतंत्र के खिलाफ लड़ेंगे

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रायपुर (आदिनिवासी)। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका यूनियन (सीटू) तथा जुझारू आंगनबाड़ी कार्यकर्ता-सहायिका कल्याण संघ के संयुक्त आह्वान पर प्रदेश के एक लाख से ज्यादा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाएं तीन दिन की हड़ताल पर चली गई। प्रदेश के सभी जिलों में धरना-प्रदर्शन के जरिये उन्होंने राज्य और केंद्र सरकार की निजीकरण को बढ़ावा देने वाली कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों के खिलाफ के खिलाफ अपना विरोध व्यक्त किया तथा कलेक्टर दर पर मजदूरी देने, सेवा निवृत्ति पर एकमुश्त कार्यकर्ताओं को पांच लाख तथा सहायिका को तीन लाख रुपये देने, पदोन्नति के जरिये कार्यकर्ताओं के सभी पद सहायिकाओं से तथा सुपरवाइजरों के सभी पद कार्यकर्ताओं से भरने, बाल विकास के अलावा अन्य कार्य करवाने पर रोक लगाने की मांग की। सीटू और जुझारू आंगनबाड़ी संघ ने इस आंदोलन को कुचलने की सरकार की कोशिशों की तीखी निंदा की है तथा कहा है कि भूपेश सरकार के लाठीतंत्र के खिलाफ अपने शांतिपूर्ण आंदोलन को वे और तेज करेंगे।

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका यूनियन (सीटू) के प्रांतीय अध्यक्ष गजेंद्र झा ने मीडिया से कहा कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार न तो समस्याओं को हल कर रही है और न ही शांतिपूर्ण आंदोलन की इजाजत ही दे रही है। यह लाठीतंत्र है और प्रजातंत्र का गला घोंटना है। कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को रायपुर में आने से रोका गया, जिलों में उन्हें डराया-धमकाया गया। इसके बावजूद हजारों की संख्या में उनके हड़ताल में भाग लेने से स्पष्ट है कि अब वे बंधुआ मजदूरी करने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि हड़ताल में भाग लेने वालों की संख्या कल और बढ़ जाएगी।

रायपुर में दस हजार से ज्यादा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने धरना दिया, जिन्हें सीटू से संबद्ध आंगनबाड़ी फेडरेशन की राष्ट्रीय सचिव शकुंतला ने संबोधित किया। वे हरियाणा से आई थी। उन्होंने बताया कि किस तरह हरियाणा और दूसरे राज्यों में आंगनबाड़ी की बहनें मोदी सरकार की निजीकरण की नीतियों के खिलाफ लड़ रही है और अपने मानदेय को बढ़वाने में भी कामयाब हुई है। उनका संघर्ष इस देश के करोड़ों कुपोषित माताओं और बच्चों की जिंदगी बचाने का भी संघर्ष है। उन्होंने कहा कि ये बहनें सामाजिक-आर्थिक रूप से कमजोर तबकों से जुड़ी है, जिनसे सरकार इस योजना के अलावा भी सभी कार्य करवाती है, लेकिन वह उन्हें न्यूनतम मजदूरी भी देने के लिए तैयार नहीं है। हमारी यूनियन की लड़ाई इस बंधुआ गुलामी के खिलाफ है।

सीटू के राज्य महासचिव एम के नंदी भी आंदोलनकारी महिलाओं के बीच पहुंचे और उनकी मांगों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में जो वादा किया था, उसे ही पूरा करने की मांग आज आंगनबाड़ी की बहनें कर रही है। यह दुर्भाग्य की बात है कि इन मांगों को पूरा करने के बजाय आज वह आंदोलन को कुचलने के रास्ते पर चल रही है, जिसे इस प्रदेश की जनता स्वीकार नहीं करेगी। प्रजातंत्र में शांतिपूर्ण आंदोलन करना नागरिकों का संवैधानिक अधिकार है और जो सरकार इस अधिकार को मानने के लिए तैयार नहीं है, उसे सत्ता में भी बने रहने का हक नहीं है।

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