कोरबा/बालकोनगर (आदिनिवासी)। छत्तीसगढ़ के औद्योगिक शहर बालकोनगर में वेदांता प्रबंधन के खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शन ने शनिवार को 24वां दिन पूरा कर लिया। सेवानिवृत्त कर्मचारियों और स्थानीय निवासियों पर कथित दबाव और उत्पीड़न के आरोपों के बीच प्रदर्शनकारियों ने 27 नवंबर को बालको के स्थापना दिवस पर वेदांता समूह के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल का पुतला दहन करने की घोषणा की है।
क्वार्टर खाली कराने के नाम पर धमकी और दबाव
बालको बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति के अनुसार, वेदांता प्रबंधन के अधिकारी कैप्टन धनंजय मिश्रा और उनकी टीम लगातार बालकोनगर में घूम-घूमकर सेवानिवृत्त कर्मचारियों को परेशान कर रही है। आरोप है कि प्रबंधन की ओर से लोगों के घरों में घुसकर उन्हें क्वार्टर खाली करने के लिए धमकाया जा रहा है। इतना ही नहीं, आज भी बिजली, पानी और शौचालय की पाइपलाइनों को क्षतिग्रस्त किए जाने की भी शिकायतें सामने आई हैं।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि जिन लोगों ने दशकों तक बालको के लिए काम किया, आज उन्हीं को बिना उनके अंतिम भुगतान की राशि दिए उनके घरों से बेदखल करने की कोशिश की जा रही है। एक सेवानिवृत्त कर्मचारी ने भावुक होते हुए कहा, “हमने अपनी पूरी जिंदगी इस कंपनी को दी, और आज हमारी मेहनत की कमाई और अंतिम भुगतान की राशि को वेदांता द्वारा हड़पकर हमें इस तरह सड़क पर लाया जा रहा है।”
श्रमिक संगठन और प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों का आरोप है कि इस पूरे मामले में बालको में कार्यरत श्रमिक संगठन, व्यापारी संगठन, प्रशासन, स्थानीय मीडिया और सरकार पूरी तरह से मौन है। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस प्रशासन, जिला प्रशासन, श्रम विभाग, श्रम सचिव और यहां तक कि कोरबा के विधायक तथा छत्तीसगढ़ के उद्योग एवं श्रम मंत्री लखनलाल देवांगन को भी कलेक्टर के माध्यम से ज्ञापन सौंपा है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
संघर्ष समिति के सदस्यों का कहना है कि श्रम मंत्री ने अभी तक अपने “कॉर्पोरेट मित्र” वेदांता के खिलाफ कोई भी कदम उठाने की पहल नहीं की है। यह स्थिति आम लोगों और मजदूरों में गहरा असंतोष पैदा कर रही है।
व्यापारियों और स्थानीय समुदाय में बढ़ता आक्रोश
बालकोनगर में सिर्फ सेवानिवृत्त कर्मचारी ही नहीं, बल्कि छोटे व्यापारी और स्थानीय समुदाय के लोग भी वेदांता प्रबंधन के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं। कई छोटे व्यापारी जो बालको के कर्मचारियों और उनके परिवारों पर निर्भर थे, अब अपने रोजगार को खतरे में देख रहे हैं।
स्थानीय दुकानदार रामलाल कहते हैं, “बालको सिर्फ एक कंपनी नहीं, यह हमारे शहर की जीवनरेखा है। यहां के लोगों के साथ जो हो रहा है, उसका असर पूरे शहर पर पड़ रहा है।”
27 नवंबर को अनिल अग्रवाल के पुतला दहन की तैयारी
बालको बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति ने 27 नवंबर को बालको के स्थापना दिवस के अवसर पर वेदांता समूह के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल का पुतला जलाने की घोषणा की है। समिति के संयोजक ने कहा है, “यदि हमारी समस्याओं का समाधान नहीं निकाला गया तो हम इस प्रतीकात्मक विरोध (वेदांता प्रमुख अनिल अग्रवाल का पुतला दहन) के लिए मजबूर हैं। यह हमारा अंतिम विकल्प है।”
प्रदर्शनकारियों की मांग है कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों को उनके क्वार्टरों से बेदखल करने की कार्रवाई तत्काल बंद की जाए, उनके अंतिम भुगतान की बकाया राशि तत्काल हिसाब किताब करके उपलब्ध कराई जाए और उन्हें सम्मानजनक तरीके से पुनर्वास की सुविधा दी जाए।
वेदांता का 25 साल का सफर: उम्मीदों से निराशा तक
बालको की स्थापना एक सरकारी उपक्रम के रूप में हुई थी, जिसे बाद में वेदांता समूह ने अधिग्रहित कर लिया। पिछले 25 वर्षों में कंपनी ने व्यावसायिक रूप से प्रगति की है, लेकिन स्थानीय लोगों का आरोप है कि मानवीय पहलू को नजरअंदाज किया गया है।
अब सभी की नजरें इस बात पर हैं कि वेदांता प्रबंधन और प्रशासन इस गंभीर स्थिति को कैसे संभालते हैं। क्या 27 नवंबर से पहले कोई समाधान निकलेगा, या फिर यह विवाद और गहराएगा?
बालकोनगर के लोगों की आंखों में उम्मीद की एक किरण अभी भी बाकी है, लेकिन धैर्य का बांध टूटने की कगार पर है। यह सिर्फ एक श्रम विवाद नहीं है, बल्कि हजारों परिवारों की भावनाओं, गरिमा और अस्तित्व का सवाल है।
बालको बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति का विरोध प्रदर्शन जारी है। समिति की मांग है कि सरकार और प्रबंधन मिलकर इस समस्या का मानवीय और न्यायसंगत समाधान निकालें, ताकि बालकोनगर में फिर से शांति और सौहार्द का माहौल बन सके।





