शुक्रवार, अगस्त 29, 2025

कोरबा के 479 आदिवासी ग्रामों में पहुंचेगी मूलभूत सुविधाएं, 17 सितंबर से शुरू होगा ‘आदि कर्मयोगी अभियान’

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कोरबा (आदिनिवासी) | जनजातीय बाहुल्य क्षेत्रों के सतत विकास और बुनियादी सुविधाओं की सुनिश्चितता के लिए भारत सरकार ने एक विशेष पहल की है। “आदि कर्मयोगी अभियान” के अंतर्गत 17 सितंबर से 2 अक्टूबर 2025 तक विशेष सेवा अभियान चलाया जाएगा। इस दौरान आदिवासी परिवारों को आवास, सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल और रोजगार जैसी जीवन-आवश्यक सेवाओं से लाभान्वित किया जाएगा।

इस अभियान का मुख्य उद्देश्य है—

शत-प्रतिशत योजनाओं का लाभ आदिवासी परिवारों तक पहुँचाना।

सुशासन और सेवा समर्पण की भावना को मजबूत करना।

ग्राम स्तर पर योजनाओं के अभिसरण और क्रियान्वयन को सुनिश्चित करना।

यह अभियान धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान और पीएम-जनमन योजना से जुड़कर विकसित भारत 2047 की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में एक ठोस कदम है।

कोरबा जिले में इस अभियान का संचालन कलेक्टर अजीत वसंत के मार्गदर्शन में किया जाएगा।

मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत को जिला नोडल अधिकारी बनाया गया है।

सभी जनपद पंचायतों के सीईओ को ब्लॉक नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।

जिले के 5 विकासखंडों—कोरबा, कटघोरा, करतला, पाली और पोंड़ी उपरोड़ा के कुल 479 आदिवासी बाहुल्य ग्राम इस अभियान में शामिल होंगे।

इस अभियान की सबसे बड़ी विशेषता जनभागीदारी है।

प्रत्येक ग्राम में 20-20 वालंटियर्स (आदि सहयोगी, आदि साथी और आदि कर्मयोगी) प्रशिक्षित किए जाएंगे।

ये वालंटियर्स योजनाओं के क्रियान्वयन, ग्राम विकास योजनाओं के निर्माण और लोगों तक सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करेंगे।

ग्राम स्तर पर “आदि सेवा केंद्र” की स्थापना की जाएगी, जो सरकारी सेवाओं और जनभागीदारी का मुख्य केंद्र बनेगा।

अभियान को सफल बनाने में स्वयंसेवी संस्थाओं, पंचायत प्रतिनिधियों, युवा संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की सक्रिय भागीदारी होगी।
जिला, ब्लॉक और ग्राम स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर कार्यकर्ताओं को योजनाओं की जानकारी और सेवा प्रदायगी की प्रक्रिया समझाई जाएगी।

इस अभियान से उम्मीद है कि कोरबा जिले के आदिवासी परिवारों की दशा और दिशा दोनों में सुधार आएगा।

ग्रामीणों को आवास, पक्की सड़कें, स्वास्थ्य सेवाएं और शिक्षा उपलब्ध होंगी।

स्वच्छ पेयजल और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

योजनाओं के संतृप्तिकरण से आदिवासी समुदाय का जीवन स्तर बेहतर होगा और भविष्य के विकास के लिए ठोस आधार तैयार होगा।

(प्रशासनिक सूत्रों पर आधारित)

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