शनिवार, जुलाई 27, 2024

शब्द के अर्थ, सामर्थ्य, रणनीति और स्वीकारोक्ति

Must Read

किसी ‘शब्द’ को सारगर्भित बनने के लिए बहुत लम्बी यात्राएं करनी पड़ती है, तब जाकर वह पूर्ण रूप से समाज में स्वीकार्य होती है।
उदाहरण स्वरुप ‘हिंदू’ शब्द की उत्पत्ति के संदर्भ में आप सबने पढ़ा है। जाना है और समझा भी है।
अब यह शब्द तेजी से ‘सनातन’ शब्द का पर्याय बनकर यात्रा में चल पड़ा है।

ठीक इसी तरह ‘आदिवासी’ शब्द भी अनेक पर्यायवाची शब्दकोश को गढ़ने लगा है। जैसे, मूलनिवासी, मूलवासी, आदिनिवासी, आदिम जनजाति, आदिमानव, वनवासी, गिरिजन, इत्यादि।

अतीत में यही शब्द, दानव, दैत्य, असुर, राक्षस, जंगली, असभ्य आदि के रूप में प्रयुक्त हुआ है। दरअसल आज हम पढ़-लिखकर इतना समझदार हो गये हैं, कि प्रचलित मान्यताओं में भी कुछ नयापन लाने का उपक्रम करने लगे हैं।
यथा—

जब हम असभ्य थे, वस्त्र भी नहीं पहनते थे,
घनी अंधेरी गुफाओं में रहते थे। तब भी हमारी चेतना बोध इतनी प्रबल थी, कि हम पशु-पक्षियों की भाषा भी समझ लेते थे। आज हम पढ़-लिखकर, इतने समझदार हो गये हैं, कि मानव होकर भी मानव की भाषा समझ नहीं पा रहे हैं। और 21वीं सदी में प्रवेश करने के बाद, उन्नत इंसान होकर भी इंसानियत के उस भावाभिव्यक्तियों को, व्यवहार के उन शब्दावलियों का अभी तक अध्ययन नहीं कर पाए हैं। हमें अभी और बहुत कुछ सीखना बाकी है।
-निर्मल राज


- Advertisement -
  • nimble technology
[td_block_social_counter facebook="https://www.facebook.com/Adiniwasi-112741374740789"]
Latest News

आदिवासी अधिकारों के लिए गुणपुर में विशाल सभा: शहीद दिवस और विश्व आदिवासी दिवस का आयोजन

गुणपुर (अदिनिवासी)। गुणपुर ब्लॉक के चालकम्भा गांव में 25 जुलाई 2024 को शाम 7 बजे एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित...

More Articles Like This