शुक्रवार, अक्टूबर 18, 2024

आदिवासी अतिथि शिक्षकों को 3 माह से नहीं मिला मानदेय: डीएमएफ राशि जारी, कलेक्टर ने दिए समाधान के निर्देश!

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कोरबा (आदिनिवासी)। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की मंशा के अनुरूप अति पिछड़े आदिवासियों के उत्थान के लिए कोरबा कलेक्टर अजीत वसंत ने एक विशेष पहल की है। इस पहल के तहत कलेक्टर ने डीएमएफ (जिला खनिज संस्थान न्यास) की राशि का बेहतर उपयोग करते हुए पहाड़ी कोरवा और बिरहोर जनजातियों के शिक्षित युवाओं को शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में नौकरियां दी हैं। इन युवाओं को अतिथि शिक्षक और भृत्य के पद पर नियुक्त कर उनके आर्थिक हालात सुधारने की कोशिश की गई है।

इन नियुक्तियों का औपचारिक कार्यक्रम छत्तीसगढ़ के श्रम मंत्री लखन लाल देवांगन, कटघोरा विधायक प्रेमचंद पटेल और महापौर राजकिशोर प्रसाद की उपस्थिति में हुआ। श्रम मंत्री की पहल पर इन शिक्षकों और भृत्यों के लिए 10 से 12 हजार रुपये मासिक मानदेय तय किया गया है। इनकी नियुक्ति 1 जुलाई 2024 को हुई थी, और कलेक्टर ने यह सुनिश्चित करने के लिए लगातार बैठकें कीं कि डीएमएफ फंड से इन्हें समय पर भुगतान हो।

लेकिन, विडंबना यह है कि बीते 3 महीने से न अतिथि शिक्षकों को और न ही भृत्यों को कोई मानदेय मिला है। 6 अक्टूबर 2024 तक, किसी भी शिक्षक या भृत्य को एक रुपये का भी भुगतान नहीं किया गया है। पहाड़ी कोरवा आदिवासी समाज के अध्यक्ष, फिरतराम पहाड़ी कोरवा ने इस समस्या को लेकर जिला मुख्यालय में जनदर्शन में अपनी बात रखी है।

शिक्षकों का कहना है कि उन्हें 4 अक्टूबर तक भुगतान मिलने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन अब तक वे अपने मानदेय का इंतजार कर रहे हैं। शुरू में कहा गया था कि हर महीने मानदेय मिलेगा, फिर पता चला कि नौकरी मिलने के बाद पहले तीन महीने तक भुगतान नहीं होता। इस वजह से आदिवासी युवा अपनी जमा पूंजी खर्च कर, घर और कार्यस्थल के बीच का सफर तय कर रहे हैं और अपनी दैनिक जरूरतें पूरी कर रहे हैं।

इस बारे में जब डीएमएफ के प्रभारी अधिकारी गौतम सिंह से सवाल किया गया, तो उन्होंने बताया कि मानदेय की राशि जारी कर दी गई है। हालांकि, उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) से बात कर यह सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया कि मानदेय क्यों नहीं मिला। भृत्यों के मामले में भी उन्होंने कहा कि उनकी राशि जारी कर दी गई है। लेकिन, जब शुक्रवार को कुछ भृत्यों से संपर्क किया गया, तो उन्होंने बताया कि अभी तक उनके खातों में कोई राशि जमा नहीं हुई है।

कलेक्टर अजीत वसंत ने भी इस मामले पर ध्यान दिया और कहा कि वे जल्द ही इस समस्या की जांच करेंगे। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि इस सप्ताह के अंत तक मानदेय की राशि जारी कर दी जाएगी और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि भविष्य में हर महीने समय पर मानदेय मिले।
“यह मामला आदिवासी समुदाय के उत्थान से जुड़ा हुआ है, जोकि सरकार और प्रशासन की योजनाओं का अहम हिस्सा है। कलेक्टर अजीत वसंत के प्रयासों से विशेष रूप से संरक्षित जनजातियों के युवाओं को नौकरियां देकर उन्हें आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने की कोशिश की गई है। हालांकि, मानदेय में देरी जैसी समस्याएं इन प्रयासों को कमजोर कर रही हैं।”

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