छत्तीसगढ़ (आदिनिवासी)। ‘असल भारत’ के खबरों के अनुसार हसदेव जंगल को बचाने के लिए अब सिर्फ देश मे ही नही बल्कि विदेशों में भी आवाज उठने लगी हैं।‘सरवाइवल इंटरनेशनल’ नाम की एक संस्था ने परसा कोल माइंस की स्वीकृति के बाद हो रही जंगलो की कटाई के खिलाफ लंदन में बैनर पोस्टर लेकर प्रदर्शन किया है।
छत्तीसगढ़ में स्थानीय आदिवासी विगत कई वर्षों से लगातार अपने जमीन और जंगल को बचाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं। इस बीच इधर सरवाइवल इंटरनेशनल संस्था ने भी लंदन में उनके हक व अधिकारों के लिए आवाज बुलंद किया है।
वर्ष 1969 में गठित सरवाइवल (उत्तरजीविता) इंटरनेशनल एक मानवाधिकार संगठन, लंदन स्थित एक चैरिटी है जो स्वदेशी या आदिवासी लोगों और असंबद्ध लोगों के अधिकारों के लिए लगातार अभियान चलाता है।
जंगल बचाओ कानूनी लड़ाई को अब जोर का झटका
इधर छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य जंगल को खनन परियोजनाओं से बचाने के लिए ग्रामीणों की कानूनी लड़ाई को एक तगड़ा झटका लगा है। भूमि अधिग्रहण को चुनौती देने वाली ग्रामीणों की याचिका को हाईकोर्ट ने बुधवार को खारिज कर दिया है।
वहीं पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रेस वार्ता के दौरान साफ तौर पर बताते हुए स्पष्ट कर दिया है कि परसा कोल माइंस की अनुमति केंद्र सरकार ने दी है। इसके बाद तो हमें देना ही पड़ेगा और हमें देनी पड़ी। इस प्रकार से इस मुद्दे से छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के द्वारा पल्ला झाड़ लेने का प्रयास भी बहुत साफ दिखाई देता है। छत्तीसगढ़ में नून-मिर्चा, प्याज और कटोरा लेकर बोरे-बासी खाने मुख्यमंत्री के इमोशनल अभियान को सफल करने वाले माटी पुत्र-पुत्रियों को अब इस मुद्दे पर भी गंभीरता पूर्वक सोचना होगा।
‘असल भारत’ का साफ तौर पर कहना है कि अनुमति किस ने पहले दिया है? मुद्दा यह नहीं है। बल्कि कोयला खनन के लिए की जा रही पेड़ों की कटाई से भविष्य में होने वाले पर्यावरणीय दुष्परिणाम व सदियों से निवास कर रहे आदिवासियों के विस्थापन और उनके संवैधानिक हक व अधिकारों पर लगातार हो रहे हमलों का सवाल है। ‘असल भारत’ लगातार सरकार तक यह मुद्दा पहुंचाते रहने का कार्य कर रहा है। ताकि हम सब कल एक बेहतर भविष्य के साथ साथ हमारा पर्यावरण, हमारी संस्कृति और इंसानी सभ्यता से जुड़ी आदिवासी समुदाय को उनका हक दिला सकें।
आदिवासी आंदोलन को और ज्यादा बल मिला है.
इधर हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति आंदोलन के स्थानीय नेतृत्व कारी आदिवासी नेताओं ने कहा है कि इस आंदोलन को जिस प्रकार से देश व दुनिया के सभी वर्ग के जागरूक नागरिकों का हर प्रकार से हमें लगातार समर्थन और सहयोग मिल रहा है। इससे हमारा हौसला और कई गुना बढ़ गया है। हमारी लड़ाई केवल आदिवासियों की लड़ाई नहीं है बल्कि देश और दुनिया की जिंदगी बचाने की लड़ाई है। हमें इस बात पर गर्व है कि हमारे इस आंदोलन में देश और दुनिया के लोग हमारे साथ खड़े हैं।