गुरूवार, नवम्बर 21, 2024

दिल्ली और गोवा के स्ट्रीट वेंडर्स पर आपराधिक कोड: अन्यायपूर्ण एफआईआर के खिलाफ संघर्ष – AICCTU

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0 दिल्ली और गोवा के स्ट्रीट वेंडर्स के खिलाफ नए आपराधिक कोड के तहत दर्ज एफआईआर वापस लें!
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नई दिल्ली (आदिनिवासी)। ऑल इंडिया सेंट्रल कौंसिल ऑफ़ ट्रेड यूनियंस (AICCTU) ने एक बयान जारी कर बताया है कि 1 जुलाई 2024 को लागू हुई नई भारतीय न्याय संहिता के तहत पहला मामला दिल्ली के स्ट्रीट वेंडर श्री पंकज कुमार के खिलाफ दर्ज किया गया है। श्री पंकज कुमार अपनी आजीविका के लिए रेहड़ी लगाते हैं, जो स्ट्रीट वेंडर्स (आजीविका संरक्षण और स्ट्रीट वेंडर्स विनियमन) अधिनियम, 2014 के तहत उनका बुनियादी अधिकार है। इसी प्रकार उत्तरी गोवा में नारियल बेचने वाले स्ट्रीट वेंडर श्री निसार बल्लारी के खिलाफ भी पुलिस ने मामला दर्ज किया है।

हम और अन्य तमाम प्रगतिशील और लोकतांत्रिक संगठन बार-बार यह कहते आ रहे हैं कि भारतीय न्याय संहिता सहित नई दंड संहिताएं असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक हैं। 1 जुलाई को दर्ज हुआ पहला मामला इस मंशा को स्पष्ट करता है, क्योंकि यह श्री पंकज कुमार, एक सड़क विक्रेता की आजीविका के अधिकार पर हमला है। यह कार्रवाई श्रमिक वर्ग पर इन संहिताओं के इरादतन हमले को दर्शाती है।

यह स्थापित कानून है कि रेहड़ी-पटरी वालों को फुटपाथ पर आजीविका का अधिकार है और वे फुटपाथ पर “बाधा” या “अतिक्रमणकारी” नहीं हैं। न्यायालयों ने रेहड़ी-पटरी वालों को “अवैध” कहने को गलत ठहराया है, तथा अर्थव्यवस्था में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता दी है। वास्तव में, पुलिस के हाथों रेहड़ी-पटरी वालों के सामने आने वाली चुनौतियों को पहचानते हुए, रेहड़ी-पटरी वालों (आजीविका संरक्षण और रेहड़ी-पटरी विक्रय विनियमन) अधिनियम, 2014 की धारा 27 को विशेष रूप से पुलिस द्वारा उत्पीड़न को रोकने और रेहड़ी-पटरी वालों की आजीविका की रक्षा के लिए शामिल किया गया था।
धारा 27 के तहत
“कोई भी रेहड़ी-पटरी वाला जो अपने विक्रय प्रमाणपत्र की शर्तों और नियमों के अनुसार रेहड़ी-पटरी विक्रय गतिविधियां करता है, उसे किसी भी व्यक्ति या पुलिस या किसी अन्य प्राधिकारी द्वारा ऐसे अधिकारों का प्रयोग करने से नहीं रोका जाएगा।”
नए आपराधिक कोड पुलिस को बेलगाम मनमानी शक्तियां प्रदान करते हैं, और एक पुलिस राज का निर्माण करते हैं, जैसा कि इस मामले में देखा गया है, जिसके शिकार समाज के सबसे हाशिए पर पड़े वर्ग के लोग हैं। सबसे अलोकतांत्रिक तरीके से पारित किए गए इन कोड्स को वापस लेना होगा।

हम बार-बार देखते हैं कि सड़क विक्रेताओं पर केंद्र की भाजपा सरकार के हमले हो रहे हैं। नोटबंदी, जीएसटी, किसान विरोधी कृषि कानून, मज़दूर विरोधी श्रम कोड, अल्पसंख्यकों, दलितों, आदिवासियों और महिलाओं के खिलाफ सांप्रदायिक हमले और अब नए आपराधिक कोड लागू किए गए हैं।
स्ट्रीट वेंडर्स के पास एफआईआर को चुनौती देने के लिए साधन नहीं हैं। इस तरह की मनमानी एफआईआर दर्ज करने से स्ट्रीट वेंडिंग पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। पहले के आईपीसी में इस धारा के तहत 200 रुपये का जुर्माना था। भारतीय न्याय संहिता के तहत अब 5,000 रुपये का जुर्माना है। पहले के आईपीसी के तहत पुलिस इस प्रावधान का इस्तेमाल विक्रेताओं को परेशान करने के लिए करती थी। स्ट्रीट वेंडर्स, जो मुकदमे का सामना करने, कोर्ट जाने और व्यापार से चूकने का जोखिम नहीं उठा सकते, उन्हें किसी भी तरह की परेशानी से बचने के लिए 200 रुपये का जुर्माना देना होता था। नए आपराधिक कानूनों के तहत अब उन्हें 5000 रुपये का भुगतान करना होगा और इसके चलते लोग खुद ही वेंडिंग करने से हतोत्साहित होंगे।

ऑल इंडिया सेंट्रल कौंसिल ऑफ़ ट्रेड यूनियन की ओर से हम मांग करते हैं कि:-
– श्री पंकज कुमार और श्री निसार बल्लारी के खिलाफ एफआईआर तुरंत वापस ली जाए!
– नए आपराधिक कोड को तुरंत वापस लिया जाए!

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