अदालत में वकील साथियों से बातचीत में मैंने कहा कि देश में कानून का राज खत्म होने की दहलीज पर है और बस एक चर्चा शुरू हो गई। जो निष्कर्ष निकल कर आए, वे निम्न हैं:-
1) सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ललिता बनाम स्टेट ऑफ UP में यह कहा गया है कि शिकायत मिलने पर पुलिस अधिकारी संज्ञेय अपराध में मुकदमा दर्ज करने के लिए बाध्य है। परंतु महिला कुश्ती खिलाड़ियों ने पुलिस से शिकायत की थी परंतु फिर भी मुकदमा दर्ज नहीं किया. इसीलिए उनको मुकदमा दर्ज करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा।
2) पाक्सो एक्ट में जांच के नाम से आरोपी बृज भूषण की गिरफ्तारी न होना, जबकि यह कानूनन जरूरी है।
पॉक्सो एक्ट आने के बाद गिरफ्तारी ना करना भारत के न्यायिक इतिहास में शायद यह पहली घटना है।
3) पुलिस इस पहलू पर जांच कर रही है कि नाबालिग, नाबालिग है या नहीं. यह निर्धारण करना पुलिस के अख्तियार से बाहर है, क्योंकि प्राथमिक दृष्टि से अपराध बन चुका है. पॉक्सो में मुकदमा दर्ज हो चुका है. मुकदमा दर्ज होने पर पुलिस के अख्तियार से बाहर है।
4) आरोपी सरेआम पीड़ित पक्ष, गवाहों पर दवाब बना रहा है. मीडिया में महिला खिलाड़ियों के बारे अनाप शनाप, अपशब्द बोल रहा है. पॉक्सो एक्ट को खत्म करने की बात कर रहा है. पीड़ित पक्ष की आइडेंटिटी को बता रहा है. परंतु दिल्ली पुलिस गिरफ्तार करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई।
5) दंड प्रक्रिया संहिता, पॉक्सो एक्ट व नियम, दिल्ली पुलिस कानून, सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों की नजीर को पुलिस ने धता बता दिया।
6) पॉक्सो एक्ट में निर्दोष साबित करने का दायित्व अपराधी पर होता है. पुलिस का काम उसे निर्दोष साबित करना नहीं होता।
7) पॉक्सो एक्ट में मुकदमा दर्ज होते ही गिरफ्तारी करना पुलिस का कार्य है. इसमें दण्ड प्रक्रिया संहिता के अनुसार 161 के ब्यान हो चुके हैं, धारा 164 दंड प्रक्रिया संहिता में बयान हो चुके हैं.164 के ब्यान का महत्व कुछ ज्यादा है, फिर भी सजा के लिए काफी नहीं है. परंतु आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस बाध्य है।
8) नाबालिग अपने पूर्व के ब्यान से यदि पलट भी जाये, तब भी पुलिस को पॉक्सो की धारा हटाने की शक्ति नहीं है।
9) नाबालिग द्वारा पुलिस में शिकायत देने के बावजूद पुलिस अधिकारी द्वारा मुक़दमा दर्ज नहीं करना, पॉक्सो एक्ट की धारा के अंतर्गत अपराध की श्रेणी में आता है।
10) पुलिस अधिकारी बाध्य है कि वह माइनर को हर तरह के मानसिक तनाव व धमकियों से बचाए।
आप सब की सही जानकारी के लिए:-
पॉक्सो एक्ट की धारा 19: reporting of the offence
धारा 21: punishment for failure to report or record a case
06 माह की सजा है धारा 21 में क्योंकि शिकायत के बाद पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया।
धारा 23 related to आइडेंटिटी of minor If आइडेंटिटी is disclosed तब: punishment upto 01 year
Section 29: Presumption as to certain offences)
का अध्ययन करे।
सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका
भारत के संविधान ने सर्वोच्च न्यायालय को अपार शक्तियां दी हैं. उन का प्रयोग करते हुए अभी तक स्वत: संज्ञान लेते हुए दिल्ली पुलिस को तलब कर पूछ सकता है कि जांच का स्टैटस क्या है, गिरफ्तारी क्यों नहीं की गई हैं?
क्योंकि दिल्ली पुलिस एवं आरोपी बृज भूषण का अपवित्र गठबंधन है। इसलिए शिकायत के बाद भी मुकदमा दर्ज नहीं किया। आरोपी को सरकारी संरक्षण प्राप्त है। दिल्ली पुलिस केंद्र के गृह मंत्रालय के अधीन है। सारांश में यह कहा जा सकता है कि अपराधी जो सत्तासीन पार्टी का अभिन्न हिस्सा है, जिसे सरकारी संरक्षण प्राप्त है, पुलिस भी इस गठबंधन का हिस्सा बन चुकी है।
इस अपवित्र गठबंधन के खिलाफ देश की बहादुर बेटी खिलाड़ियों ने जो हौसला दिखाया है, वह बहुत ही काबिले तारीफ है, यह इतिहास में अमिट रहेगा।
-कामरेड राजेंद्र सिंह एडवोकेट
(ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन)
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