मंगलवार, दिसम्बर 3, 2024

जनजातीय संस्कृति और परंपराओं का संरक्षण: महाविद्यालय में ऐतिहासिक कार्यशाला का आयोजन!

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प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा में जनजातीय समाज की अग्रणी भूमिका पर जोर

कोरबा (आदिनिवासी)। शासकीय ग्राम्य भारती महाविद्यालय, हरदीबाजार में जनजातीय गौरव माह के अंतर्गत जनजातीय समाज के ऐतिहासिक, सामाजिक और आध्यात्मिक योगदान पर आधारित एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य जनजातीय समाज की सांस्कृतिक धरोहर, वीरता और भारतीय मूल्यों के प्रति उनकी समर्पण भावना को प्रोत्साहित करना था। यह आयोजन उच्च शिक्षा संचालनालय, नवा रायपुर के निर्देशानुसार किया गया।

कार्यक्रम का आयोजन महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. शिखा शर्मा के मार्गदर्शन में किया गया, जबकि संयोजक के रूप में रसायनशास्त्र विभाग के प्राध्यापक डॉ. एस. कृष्णमूर्ति और सह-संयोजिका प्राणीशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष अंजली ने नेतृत्व किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के संस्थापक और कटघोरा विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक बोधराम कंवर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम की शुरुआत माता सरस्वती, भारत माता, भगवान बिरसा मुंडा, शहीद वीर नारायण सिंह और वीरांगना रानी दुर्गावती के चित्रों पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलन के साथ हुई।

इस कार्यशाला में महाविद्यालय के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, ग्रंथपाल, अतिथि व्याख्याता, शैक्षिकेत्तर कर्मचारी और स्नातक एवं स्नातकोत्तर के छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया।

मुख्य अतिथि बोधराम कंवर ने अपने संबोधन में जनजातीय समाज के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि भारतीय जनजातीय संस्कृति हमारे देश की विविधता का अद्वितीय अंग है। जनजातीय समाज ने सदियों से अपनी अनूठी परंपराओं, रीति-रिवाजों और जीवनशैली को संरक्षित रखा है। उनके संघर्ष, आत्मनिर्भरता और समाज के प्रति उनके योगदान ने न केवल उनके समुदाय को सशक्त किया है, बल्कि पूरे देश को भी नई ऊर्जा प्रदान की है।

कंवर ने कहा, “चाहे वह स्वतंत्रता संग्राम हो या प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा की लड़ाई, जनजातीय समाज हमेशा अग्रणी रहा है। उनके जीवन और शिक्षाएं हमें साहस, सामाजिक न्याय और आत्मसम्मान की प्रेरणा देती हैं। उनका योगदान न केवल जनजातीय समाज के लिए, बल्कि पूरे भारतवर्ष के लिए अमूल्य है।”

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता, राज्य युवा आयोग के पूर्व सदस्य रघुराज सिंह उइके ने अपने संबोधन में कहा, “जनजातीय गौरव दिवस केवल इतिहास के महान योद्धाओं को याद करने का अवसर नहीं है, बल्कि उनके विचारों और शिक्षाओं को आगे बढ़ाने का भी एक प्रयास है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि जनजातीय समाज की प्रगति के लिए समर्पित योजनाओं का लाभ उन तक पूरी तरह से पहुंचे। शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक प्रगति के क्षेत्र में उन्हें सशक्त बनाने की जरूरत है।”

उइके ने आगे कहा, “आधुनिकता की दौड़ में जनजातीय समाज तेजी से अपनी जड़ों से दूर होता जा रहा है। हरदीबाजार इसका जीवंत उदाहरण है। यहां कोयला खनन ने जनजातीय समाज की परंपराओं और संस्कृति को हमसे दूर कर दिया है। हमारी प्रकृति, आराधना स्थल और सांस्कृतिक धरोहर खनन प्रक्रिया की भेंट चढ़ गए हैं।”

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में किसान मोर्चे के जिलाध्यक्ष छोटेलाल ने जनजातीय समाज के प्रेम, भाईचारे और एकजुटता के संदेश को सभी के लिए अपनाने की अपील की। उन्होंने कहा, “यह समाज भेदभाव से रहित और प्रकृति का उपासक है, और इसका इतिहास गौरवशाली है। हमें इस समाज के मूल्यों को समझकर एकजुटता के साथ देश के विकास में सहयोग करना चाहिए।”

यह कार्यशाला जनजातीय समाज के समृद्ध इतिहास और योगदान को सम्मानित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर था। ऐसे आयोजन न केवल समाज के गौरवशाली अतीत की याद दिलाते हैं, बल्कि उनकी सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने और अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का भी काम करते हैं। इस कार्यक्रम में वक्ताओं ने जनजातीय समाज के समर्पण, संघर्ष और योगदान की खुलकर प्रशंसा की, साथ ही भविष्य की चुनौतियों पर भी ध्यान केंद्रित किया। यह जरूरी है कि ऐसे अवसरों पर जनजातीय समाज के विकास और उनके अधिकारों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।

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