चार जनपद पंचायतों में आरक्षित सीटों की संख्या में भारी कमी।
सक्ति (आदिनिवासी)। छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले में सरपंच और पंच पदों के लिए आरक्षण प्रक्रिया को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) समुदाय ने इस प्रक्रिया को अपने मौलिक अधिकारों का हनन बताते हुए कड़ा विरोध जताया है। समुदाय ने राज्यपाल, मुख्य निर्वाचन आयोग और जिला निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखकर आरक्षण प्रक्रिया की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
आरक्षण में कमी से असंतोष
सक्ती जिले की चार जनपद पंचायतों—मालखरौदा, सक्ती, जैजैपुर और डभरा—में ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित सीटों की संख्या में भारी कमी आई है।
मालखरौदा: 81 ग्राम पंचायतों में केवल 3 सीटें।
सक्ती: 73 ग्राम पंचायतों में केवल 3 सीटें।
जैजैपुर: 78 ग्राम पंचायतों में 7 सीटें।
डभरा: 90 ग्राम पंचायतों में सिर्फ 6 सीटें।
ओबीसी समुदाय का आरोप है कि यह प्रक्रिया जानबूझकर उन्हें चुनाव प्रक्रिया से वंचित करने और उनके अधिकारों के साथ अन्याय करने का प्रयास है।
आरक्षण प्रक्रिया निरस्त करने की मांग
दिनांक 8 जनवरी 2025 को आयोजित आरक्षण प्रक्रिया को लेकर समुदाय ने इसे तत्काल निरस्त करने की मांग की है। उनका कहना है कि पूर्व में लागू आरक्षण प्रक्रिया के आधार पर ही ओबीसी वर्ग को आरक्षण मिलना चाहिए। शिकायतकर्ताओं ने इसे संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए कहा कि यह समाज के इस महत्वपूर्ण वर्ग में असंतोष फैलाने का कारण बन रहा है।
उग्र आंदोलन की चेतावनी
ओबीसी समुदाय ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करने और चुनाव बहिष्कार करने के लिए बाध्य होंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस स्थिति के लिए पूरी जिम्मेदारी शासन और प्रशासन की होगी।
संविधान के अधिकारों का हनन
शिकायतकर्ताओं ने कहा कि आरक्षण में की गई यह अनियमितता संविधान में दिए गए उनके मौलिक अधिकारों का सीधा उल्लंघन है। उन्होंने प्रशासन से अपील की है कि पिछली आरक्षण प्रक्रिया को तुरंत बहाल किया जाए ताकि समुदाय को न्याय मिल सके और उनकी राजनीतिक भागीदारी सुनिश्चित हो।
ओबीसी समुदाय का यह विरोध सिर्फ उनके अधिकारों की सुरक्षा के लिए नहीं बल्कि समाज में समानता और न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन और शासन इस संवेदनशील मुद्दे पर क्या कदम उठाते हैं।