कोरबा (आदिनिवासी)| डिजिटल इंडिया की दिशा में उठाए गए कदम अब गांव-गांव तक पहुंच रहे हैं। इसी क्रम में कोरबा कलेक्टर अजीत वसंत ने भैंसमा तहसील के ग्राम करमंदी में पहुंचकर खेतों में चल रहे डिजिटल फसल सर्वेक्षण कार्य का अवलोकन किया। उन्होंने सर्वेक्षण में लगे राजस्व विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों और पटवारियों को त्रुटिरहित और पारदर्शी गिरदावरी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
निरीक्षण के दौरान कलेक्टर वसंत ने किसानों भरतलाल और चमार साय से मुलाकात कर डिजिटल सर्वे के फायदे समझाए। उन्होंने कहा कि अब फसल सर्वेक्षण प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल होगी, जिससे किसान और प्रशासन दोनों को वास्तविक व सटीक जानकारी मिलेगी।
उन्होंने स्पष्ट किया कि सर्वेयर अब सीधे खेत पर जाकर डिजिटल क्रॉप सर्वे ऐप के माध्यम से खसरा नंबर दर्ज करेंगे और खेत की तस्वीर लेकर रिकॉर्ड तैयार करेंगे। इससे फसल क्षेत्रफल को अधिक या कम दर्ज करने की संभावना पूरी तरह समाप्त हो जाएगी।
कलेक्टर वसंत ने कहा कि डिजिटल सर्वे से किसानों को कई महत्वपूर्ण फायदे होंगे:
अब किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए बार-बार दस्तावेजों का सत्यापन नहीं कराना पड़ेगा।
फसल से जुड़ी सारी अहम जानकारियां एक ही जगह उपलब्ध होंगी।
किसानों को अपनी उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर बेचने की प्रक्रिया और भी आसान हो जाएगी।
उन्होंने किसानों से अपील की कि वे सर्वे में सक्रिय सहयोग करें, क्योंकि यह पहल आने वाली पीढ़ियों के लिए पारदर्शी और भरोसेमंद कृषि व्यवस्था तैयार करेगी।
निरीक्षण के दौरान जिला पंचायत सीईओ दिनेश कुमार नाग, सहायक कलेक्टर क्षितिज गुरभेले, एसडीएम सरोज महिलांगे, और तहसीलदार के.के. लहरे सहित कई अधिकारी मौके पर मौजूद रहे।
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार:
कोरबा जिले की 12 तहसीलों के 417 ग्रामों का जियो-रेफ्रेंसिंग किया जा चुका है।
30 सितंबर तक 417 ग्रामों के कुल 3,67,864 खसरों का सर्वेक्षण और अनुमोदन किया जाना है।
अब तक 2,312 खसरों का सर्वेक्षण पूरा हो चुका है, जिसमें 951 सर्वेक्षक और सभी पटवारी सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।
डिजिटल फसल सर्वे केवल प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि किसानों के लिए एक भरोसेमंद सुरक्षा कवच है। जहां पहले फसलों के रकबे और उपज से जुड़ी त्रुटियां विवाद और नुकसान का कारण बनती थीं, वहीं अब पारदर्शी डिजिटल रिकॉर्ड से किसानों को न्यायसंगत मूल्य, सरकारी योजनाओं का सही लाभ और भ्रष्टाचार मुक्त प्रक्रिया मिलेगी।
यह कदम न केवल किसानों की जिंदगी आसान बनाएगा बल्कि कृषि क्षेत्र में पारदर्शिता, विश्वसनीयता और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा।