बुधवार, फ़रवरी 5, 2025

अखरापाली में राशन वितरण में अनियमितता: जनदर्शन में शिकायत!

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उठाव के बाद राशन वितरण न करने का आरोप

कोरबा (आदिनिवासी)| ग्राम अखरापाली, विकासखंड कोरबा में सरकारी उचित मूल्य की दुकान से राशन वितरण में गंभीर अनियमितताओं के मामले ने ग्रामीणों में आक्रोश पैदा कर दिया है। जून से सितंबर तक APL राशन कार्डधारकों और फरवरी से जून तक BPL कार्डधारकों को आवश्यक सामग्री न मिलने की शिकायतें सामने आई हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि जय सतनाम महिला स्व सहायता समूह, जो इस दुकान का संचालन करता है, ने संबंधित विभाग से राशन सामग्री का उठाव तो कर लिया लेकिन उपभोक्ताओं को उसका वितरण नहीं किया।

क्या है मामला?

ग्राम अखरापाली की उचित मूल्य की दुकान (कोड: 552001069) का संचालन जय सतनाम महिला स्व सहायता समूह द्वारा किया जाता है।
APL कार्डधारक: जून से सितंबर 2024 तक का राशन नहीं मिला।
BPL कार्डधारक: फरवरी 2024 का शक्कर और अप्रैल व जून 2024 का चना, नमक और शक्कर अब तक वितरित नहीं किया गया।

ग्रामीणों का कहना है कि संचालक ने विभाग से इन सभी सामग्रियों का उठाव कर लिया है, लेकिन सामग्री उन्हें नहीं सौंपी गई। इस लापरवाही ने उपभोक्ताओं को गहरी परेशानी में डाल दिया है।

ग्रामीणों का गुस्सा और पंचायत का कदम

इस मामले ने ग्रामीणों में भारी नाराजगी पैदा कर दी है। स्थिति इतनी गंभीर है कि कभी भी यह गुस्सा बड़े आंदोलन का रूप ले सकता है।
ग्राम पंचायत ने इस मुद्दे पर आमसभा बुलाई और सर्वसम्मति से जय सतनाम महिला स्व सहायता समूह को हटाने का प्रस्ताव पारित किया। पंचायत ने उक्त प्रस्ताव को जिला प्रशासन के समक्ष प्रस्तुत किया है।

ग्रामीणों की मांग

ग्रामीणों ने कोरबा जिला कलेक्टर से मामले की निष्पक्ष जांच कराने और दोषी समूह के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। उन्होंने आग्रह किया है कि इस समूह को तत्काल हटाया जाए और राशन वितरण की जिम्मेदारी किसी ईमानदार और सक्षम संस्था को सौंपी जाए।

राशन वितरण में अनियमितता न केवल प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाती है, बल्कि यह गरीब और जरूरतमंद उपभोक्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन भी है। सरकार द्वारा उचित मूल्य की दुकानों के संचालन का उद्देश्य गरीबों को समय पर खाद्य सामग्री उपलब्ध कराना है। ऐसे में, इस प्रकार की घटनाएं न केवल इस उद्देश्य को विफल करती हैं, बल्कि प्रशासन की छवि पर भी सवाल खड़े करती हैं।

जिला प्रशासन को तत्काल इस मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करनी चाहिए।
ग्रामीणों का विश्वास बहाल करने के लिए पारदर्शी वितरण प्रक्रिया सुनिश्चित करनी होगी।
जरूरतमंद उपभोक्ताओं को उनका बकाया राशन जल्द से जल्द उपलब्ध कराना चाहिए।

यह घटना प्रशासन और ग्रामीणों के बीच संवाद और भरोसे की कमी को उजागर करती है। जिला प्रशासन को इसे प्राथमिकता से लेते हुए न केवल दोषियों को दंडित करना चाहिए, बल्कि यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो। ग्रामीणों को भी उम्मीद है कि उनकी आवाज़ सुनी जाएगी और उन्हें उनका अधिकार मिलेगा।

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