बिलासपुर (आदिनिवासी)। समाज में जातिवाद, धार्मिक पाखंड और फिजूलखर्ची के खिलाफ एक सशक्त संदेश देने के लिए “लोक समता शिक्षण समिति” (LS3) द्वारा संवैधानिक आदर्श विवाह का आयोजन किया गया। संस्था का उद्देश्य समाज में समानता, प्रगतिशीलता और मानवतावादी मूल्यों को बढ़ावा देना है। इसी क्रम में LS3 द्वारा एक अभियान चलाया जा रहा है, जिसके तहत अंतर्जातीय और अंतरधार्मिक विवाहों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
इस अभियान के तहत, सुश्री प्रीती निषाद और श्री राजकुमार भारती ने संवैधानिक आदर्श विवाह के लिए LS3 को आवेदन दिया। आवेदन स्वीकृत होने के बाद, 25 सितंबर 2024 को बिलासपुर के भारतीय नगर स्थित लोक समता शिक्षण समिति के कार्यालय में दोनों का विवाह संपन्न हुआ। इस अवसर पर गुरुघासीदास सेवादार संघ (GSS) के केंद्रीय संयोजक और LS3 के संरक्षक श्री लखन सुबोध ने भारतीय संविधान ग्रंथ को साक्षी मानकर नवविवाहित जोड़े को विवाह की शपथ दिलाई।
समाज में बदलाव की ओर एक कदम
लोक समता शिक्षण समिति (LS3) पिछले कई वर्षों से संवैधानिक आदर्श विवाह करवा रही है। इसमें अधिकांश शादियाँ अंतर्जातीय होती हैं, जबकि कुछ शादियाँ अंतरधार्मिक और सजातीय भी होती हैं। यह संस्था समाज में सामंती सोच और दमनकारी परंपराओं के खिलाफ आवाज उठाती रही है, जिसमें युवक-युवतियों की आज़ादी और अधिकारों का हनन प्रमुख मुद्दा है। कई बार, ऐसे मामलों में हत्या और आत्महत्या जैसी गंभीर घटनाएं भी घटित होती हैं, लेकिन परिवार की सामंती मानसिकता ऐसे मामलों को नजरअंदाज कर देती है।
वर्तमान समय में, आरएसएस/भाजपा शासित राज्यों में ऐसे कानून बनाने की बात हो रही है, जिसमें युवक-युवतियों की शादी के लिए माता-पिता की अनुमति को अनिवार्य बनाने का प्रस्ताव है। यह विचाराधारा युवाओं की व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर सीधा हमला है, जिसे “न्यायसंगत” ठहराने का प्रयास किया जा रहा है। वास्तव में, सरकारों का दायित्व होना चाहिए कि वे युवाओं और उनके परिवारों को बेहतर शिक्षा, रोजगार, और आधुनिक सोच की दिशा में प्रेरित करें, ताकि समाज में प्रगतिशील और समतामूलक वातावरण का निर्माण हो सके।
समारोह में विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति
इस विवाह समारोह में वीरेन्द्र भारद्वाज (LS3 महासचिव), मिश्रीलाल खांडे (सतनाम धर्म संस्थान अध्यक्ष), तरुण कुमार अनंत (विवाह वीडियो एवं फोटोग्राफर) सहित वर-वधु के परिजन – शिवनंदन भारती, विनोद कुमार, संतोष कुमार, ताराचंद बघेल, नरेश कुमार, देवा कुमार उपस्थित थे।
समारोह के बाद, श्री लखन सुबोध ने नवविवाहित दंपत्ति को बधाई देते हुए कहा, “यदि भविष्य में किसी भी प्रकार से जातिगत ठेकेदारों द्वारा आपको या आपके परिजनों को सामाजिक बहिष्कार या प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है, तो हमें सूचित करें। हम संवैधानिक समता और स्वतंत्रता के आधार पर न्याय के लिए हमेशा आपके साथ खड़े रहेंगे। हम जातिवादी अत्याचारों के खिलाफ हमेशा लड़ते रहे हैं और आगे भी लड़ते रहेंगे।”
समाज में जातिवाद और सामंती मानसिकता के खिलाफ ऐसे अभियान न केवल स्वागत योग्य हैं, बल्कि उन्हें समाज के व्यापक समर्थन की भी आवश्यकता है। भारतीय संविधान के अनुसार, हर नागरिक को स्वतंत्रता और समानता का अधिकार है, और इस प्रकार के विवाह समारोह इसी अधिकार का सम्मान करते हैं।
हालांकि, समाज में अभी भी एक बड़ी संख्या ऐसी है जो परंपरागत सोच और दकियानूसी विचारधारा को बढ़ावा देती है। ऐसे में, सरकारों और समाज को मिलकर एक प्रगतिशील वातावरण बनाने की आवश्यकता है, जिसमें सभी को उनके अधिकारों का सम्मान मिल सके और कोई भी जाति, धर्म या सामाजिक भेदभाव के कारण दमन का शिकार न हो।