छत्तीसगढ़ (आदिनिवासी)। आदिवासियों के भाग्यविधाता, प्रथम राजनीतिक गुरु माननीय जयपालसिंह मुँडा साहब के जन्मदिन 03 जनवरी के अवसर पर सम्पूर्ण भारत के आदिवासी समुदाय को वैचारिक कार्यक्रम आयोजित करना होगा। इसी प्रकार के आयोजनो की निरँतरता से ही भारत के आदिवासियों की सोच और मानसिकता में परिवर्तन लाया जा सकता है।
आज का युग गलतियों को ढोने और कोसते रहने का नही है बल्कि उसे जान समझकर दूर करने का है। इस प्रकार के बौद्धिक आयोजनों से ही आदिवासी तकदीर व तस्वीर को बदला जा सकता है। 03 जनवरी को जहां कहीं भी आधुनिक भारत के आदिवासी मसीहा (ओरिजनल) की याद मे कार्यक्रम हो रहा है, वहां सभी आदिवासियों को अपने सारे काम धाम छोडकर उस आयोजन में शरीक होना होगा।
आज इस देश के जितने भी आदिवासी सुँदर और सुविधाजनक जीवन को जी पा रहे हैं, उसकी वैधानिक व वैचारिक नीँव रखने वाले प्रथम महा पुरुष मुँडा साहब ही हैं। इसलिये हम सबको इस कर्ज की अदायगी करनी ही होगी। मैंने बचपन में सुना था कि आदिवासी, सबकुछ हो सकता है लेकिन बेईमान नही हो सकता। यदि यह सच है तो आइए हमसब मिलकर मान.जयपालसिंह मुँडा जी को याद करें, उनके विचारों को अँगीकार करें।