बुधवार, अक्टूबर 15, 2025

22 साल के अन्याय से त्रस्त भू-विस्थापितों की भूख हड़ताल: गोमती केवट सहित 13 परिवारों का अन्न-जल त्याग, प्रशासन के आश्वासन पर स्थगित

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कोरबा/कुसमुंडा (आदिनिवासी)।एसईसीएल कुसमुंडा परियोजना के भू-विस्थापित परिवारों का 22 वर्षों से चला आ रहा धैर्य बुधवार को आखिरकार टूट गया। अपने अधिकारों से वंचित इन परिवारों ने रोजगार और पुनर्वास की अनदेखी के खिलाफ गोमती केवट के नेतृत्व में कुसमुंडा महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी। लंबे समय से न्याय की प्रतीक्षा कर रहे इन 13 परिवारों ने अन्न-जल त्याग कर आर-पार की लड़ाई का ऐलान किया।

✦ 22 वर्षों का संघर्ष और छल

विस्थापितों का आरोप है कि एसईसीएल कुसमुंडा प्रबंधन ने 22 वर्षों से उन्हें केवल झूठे आश्वासन दिए हैं। पुश्तैनी जमीन को कोयला खदान को सौंपने के बावजूद रोजगार की वैध मांगों को जानबूझकर लटकाया गया। भू-विस्थापितों का कहना है कि प्रबंधन ने उनके कई बार के निवेदन, ज्ञापन और प्रदर्शन के बाद भी समस्याओं का समाधान नहीं किया।

प्रशासन की हस्तक्षेप से टली बड़ी स्थिति

भूख हड़ताल की सूचना मिलते ही बुधवार दोपहर जिला प्रशासन हरकत में आया। दीपका, दर्री और कटघोरा क्षेत्र के तीन तहसीलदार मौके पर पहुंचे और आंदोलनकारियों से चर्चा की। अधिकारियों ने आंदोलन की गंभीरता को देखते हुए रोजगार प्रकरणों के शीघ्र समाधान का आश्वासन दिया। प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन आवेदकों के जन्म प्रमाण पत्र या दस्तावेजों में तकनीकी त्रुटि है, उन्हें तत्काल दुरुस्त कर प्रस्तुत किया जाए या किसी अन्य पात्र नाम को प्रस्तावित किया जाए ताकि प्रक्रिया आगे बढ़ सके।

✦ भूख हड़ताल अस्थायी रूप से स्थगित

प्रशासन से मिले ठोस आश्वासन के बाद गोमती केवट सहित अन्य 13 विस्थापित परिवारों ने अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल को अस्थायी रूप से स्थगित करने की घोषणा की। हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि यदि तय समय सीमा में रोजगार संबंधी वादे पूरे नहीं किए गए, तो वे पुनः उग्र आंदोलन शुरू करेंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी एसईसीएल प्रबंधन और जिला प्रशासन की होगी।

✦ “हमने जमीन दी, बदले में मिला अन्याय”

भूख हड़ताल पर बैठी गोमती केवट ने कहा, “हमने अपनी पुश्तैनी जमीन कंपनी को दी ताकि विकास हो, लेकिन हमें सिर्फ धोखा और भुलावा मिला। 22 सालों से रोजगार का इंतजार कर रहे हैं। अब संघर्ष ही आखिरी रास्ता बचा है।”
विस्थापितों ने बताया कि उनकी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य अधर में लटका है और यदि शीघ्र समाधान नहीं हुआ तो वे पुनः अनिश्चितकालीन आंदोलन करेंगे।

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