शुक्रवार, नवम्बर 22, 2024

हसदेव अरण्य के हरिहरपुर में 14 अक्टूबर को आयोजित: जंगल बचाओ आंदोलन

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विनम्र अपील: आंदोलन को विस्तार एवं ताकत देने कार्यक्रम में अवश्य पहुंचें

कोरबा (आदिनिवासी)। हसदेव अरण्य क्षेत्र में जंगल, जमीन, आजीविका, पर्यावरण और आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए हसदेव के ग्रामीण आदिवासी और हमारी ग्राम सभाएं पिछले एक दशक से आंदोलनरत हैं। गत 02 मार्च 2022 से हरिहरपुर में अनिश्चितकालीन धरना लगातार जारी है।

हसदेव अरण्य के सरगुजा जिले में परसा, परसा ईस्ट केते बासेन और केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक एवं कोरबा जिले में मदनपुर साउथ एवं पितुरिया गिदमुड़ी कोल ब्लाक में ग्राम सभाओं को दरकिनार करके केंद्र और राज्य सरकार ने भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की थी। इसके साथ ही परसा कोल ब्लॉक में फर्जी ग्रामसभा प्रस्ताव बनाकर खनन कंपनी के द्वारा स्वीकृति हासिल की गई थी। इसके खिलाफ हसदेव के आदिवासियों ने पिछले वर्ष 04 अक्टूबर से 14 अक्टूबर तक 300 किलोमीटर पदयात्रा करके रायपुर में राज्यपाल और मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी। छत्तीसगढ़ के राज्यपाल ने स्पष्ट रूप से कहा था कि वो पांचवी अनुसूची क्षेत्र की प्रशासक हैं। उनके रहते हसदेव के आदिवासियों के साथ अन्याय नहीं होगा लेकिन दुखद है कि आज तक फर्जी ग्रामसभा प्रस्ताव की जांच तक नहीं हुई। पांचवी अनुसूचित क्षेत्र होने के बावजूद ग्राम सभा की सहमति लिए बिना ही भारी फोर्स की मौजूदगी में हजारों पेड़ों को काट डाला गया। आंदोलनकारी साथियों पर लगातार फर्जी मामले भी पंजीबद्ध किए जा रहे हैं।

सन 2015 में कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी जी ने मदनपुर की सभा में हसदेव को बचाने का वादा किया था। यहां तक कि पिछले एक वर्ष में उन्होंने कई बार हसदेव के आंदोलनों को न सिर्फ सही बताया बल्कि उनके शीघ्र समाधान की बात भी कही थी। हमें खेद के साथ यह कहना पड़ रहा है कि हसदेव को बचाने की बात तो दूर, आज आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों को कुचले जाने पर भी वो मौन हैं। शायद कारपोरेट के दबाव में वह भी अपने सिद्धांत और वादों से पीछे हट चुके हैं।

इसी वर्ष जुलाई में छत्तीसगढ़ विधानसभा में सर्वसम्मति से हसदेव अरण्य के सभी कोयला खदानों को निरस्त करने का प्रस्ताव पारित किया गया लेकिन केंद्र या राज्य सरकार ने अब तक एक भी कोयला खदान को निरस्त करने की दिशा में कोई कार्यवाही नहीं की है। ऐसी स्थिति में हसदेव के हम समस्त आदिवासियों के पास अपने लोकतांत्रिक, शांतिपूर्ण आंदोलन को जारी रखने और इस आंदोलन को विस्तार करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।

हम किसी भी कीमत पर “हसदेव अरण्य” और उसकी समृद्ध वन संपदा, जैव विविधता, हसदेव नदी और उसके जल से सिंचित होती लाखों हेक्टेयर किसान भाइयों की जमीनों, वन्य प्राणियों के रहवासी और सहअस्तित्व के साथ वन पर निर्भर हमारी आजीविका संस्कृति और हमारे अस्तित्व का विनाश नहीं होने देंगे। हमारा शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक सरकारें खनन परियोजना और उससे जुड़ी समस्त सहमतियों को निरस्त नहीं करती।

हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के स्थानीय आदिवासी नेतृत्वकारी साथियों ने प्रदेश के सभी नेतृत्वकारी ताकतों से विनम्र अपील करते हुए कहा है कि 14 अक्टूबर 2022 के जंगल बचाओ आंदोलन में जरूर शामिल होवें तथा कारपोरेट लूट, वन संसाधनों की लूट, पर्यावरण के विनाश को रोकने और आदिवासी समुदाय के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए लगातार चल रहे इस आंदोलन के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने तथा इस आंदोलन को और ज्यादा व्यापक बनाने में अपना अमूल्य सहयोग प्रदान करें।

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