गुरूवार, नवम्बर 21, 2024

मंत्रालय से आया फर्जी पत्र कलेक्टर के नाम: एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई के निर्देश

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कोरबा (आदिनिवासी)। वेतन निर्धारण के मामले में आवश्यक कार्यवाही के लिए सचिव स्तर से भेजा गया पत्र फर्जी पाए जाने के मामले में FIR के निर्देश दिए गए हैं। देखना है कि इस मामले में कब तक और किस पर एफआईआर दर्ज होती है।
इस फर्जीवाड़े का खुलासा तब हुआ जब दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के वेतनमान निर्धारण के संबंध में कोई कार्यवाही नहीं होने पर इन कर्मचारियों ने सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास विभाग कार्यालय पहुंचकर प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की अपील की।

इस दौरान पता चला कि पूर्व जारी पत्र ही फर्जी थे। बता दें कि उक्त पत्रों की पुष्टि करने के लिए कलेक्टर द्वारा 4 जनवरी 2023 को विभागीय मंत्रालय को पत्र लिखा गया। इस विषय पर 19 जनवरी को आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग मंत्रालय के उप सचिव एमरेंसिया खेस्स के द्वारा कलेक्टर को अवगत कराया गया कि पत्र पुष्टि के परिप्रेक्ष्य में परीक्षण उपरांत पाया गया कि उक्त पत्र में अवर सचिव सरोजनी टोप्पो के अंकित हस्ताक्षर फर्जी हैं तथा इस विभाग द्वारा जारी नहीं हुआ है।

निर्देशानुसार कहा गया है कि उक्त तीनों फर्जी पत्रों के संबंध में किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं करें तथा पुलिस थाना कोरबा में एफआईआर दर्ज कर अवगत कराएं। इसकी प्रतिलिपि सहायक आयुक्त आदिवासी विकास कोरबा को भी प्रेषित कर निर्देशित किया गया है कि फर्जी पत्र/पत्राचार अथवा संदेहास्पद पत्रों के संबंध में सावधानी बरती जाए।

ज्ञात हो कि पिछले दिनों आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग मंत्रालय रायपुर की अवर सचिव सरोजनी टोप्पो के नाम से हस्ताक्षरित यह पत्र कोरबा कलेक्टर के नाम जारी हुआ था। दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के वेतन निर्धारण करने के संबंध में कार्यभारित आकस्मिक निधि अंतर्गत नियमित वेतनमान को आकस्मिक स्थापना पद के विरुद्ध वेतनमान निर्धारण करने के संबंध में अनुमति/सहमति चाही गई थी।

मजदूरी दर के वेतन निर्धारण संबंधी इस पत्र के अनुसार सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग, कोरबा के अधीन कलेक्टर दर पर कार्यरत 170 कर्मचारियों का आकस्मिक निधि कार्यभारित स्थापना में समायोजित कर वेतन निर्धारण की कार्यवाही करते हुए आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग मंत्रालय को अवगत कराने कोरबा कलेक्टर को निर्देशित किया गया था।

उक्त पत्र की पुष्टि करने के लिए कलेक्टर द्वारा विभागीय मंत्रालय को पत्र लिखा गया। मंत्रालय के उप सचिव एमरेंसिया खेस्स के द्वारा कलेक्टर को अवगत कराया गया कि उक्त पत्र में अवर सचिव के अंकित हस्ताक्षर फर्जी हैं तथा इस विभाग द्वारा जारी नहीं हुआ है। अत: फर्जी पत्रों के संबंध में किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं करें।

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