शुक्रवार, अक्टूबर 18, 2024

कोरबा में मनरेगा घोटाले की गूंज: उच्च स्तरीय जांच की उठी मांग!

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कोरबा (आदिनिवासी)। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) योजना के क्रियान्वयन में गंभीर अनियमितताओं का मामला सामने आया है। जनपद पंचायत करतला की अध्यक्ष सुनीता देवी कंवर ने ग्रामीण विकास मंत्रालय के प्रमुख सचिव को एक विस्तृत शिकायत भेजी है, जिसमें योजना के नियमों के उल्लंघन और व्यापक भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं।

शिकायत के प्रमुख बिंदु

1. कमीशनखोरी का आरोप: जिला पंचायत कोरबा के सहायक परियोजना अधिकारी (APO) संदीप डिक्सेना पर आरोप है कि वे केवल उन ग्राम पंचायतों को मनरेगा के तहत काम और भुगतान की स्वीकृति देते हैं, जो कथित तौर पर कमीशन देने को तैयार हैं।

2. भुगतान में देरी: कई ग्राम पंचायतों का भुगतान 1 अक्टूबर 2024 तक लंबित बताया गया है।

3. नियमों का उल्लंघन: मनरेगा के तहत निर्माण कार्यों में सामग्री की राशि का अनुपात 41% से 99% तक बताया गया है, जो अधिनियम के विपरीत है।

4. संदिग्ध वित्तीय स्वीकृतियां: जनपद पंचायत पाली में 102 भूमि सुधार परियोजनाओं के लिए एक समान राशि ₹87,000 स्वीकृत की गई है, जिस पर सवाल उठाए गए हैं।

5. अत्यधिक भुगतान: कुछ ग्राम पंचायतों में सामग्री संबंधी कार्यों के लिए 20 लाख से 1 करोड़ रुपये तक का भुगतान किया गया है, जिसकी जांच की मांग की गई है।

APO का बचाव

संदीप डिक्सेना ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए कहा है कि यह उनकी छवि को खराब करने का प्रयास है। उन्होंने दावा किया कि कोई कमीशन नहीं लिया जा रहा है और जनपद अध्यक्ष सुनीता कंवर ने उनके खिलाफ कोई शिकायत नहीं की है।

मनरेगा जैसी महत्वपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना में इस तरह के आरोप चिंताजनक हैं। ये आरोप न केवल योजना की प्रभावशीलता पर सवाल उठाते हैं, बल्कि ग्रामीण विकास और गरीबी उन्मूलन के प्रयासों को भी प्रभावित कर सकते हैं। इस मामले की निष्पक्ष और गहन जांच अत्यंत आवश्यक है ताकि:

1. दोषियों को चिह्नित किया जा सके और उन्हें दंडित किया जा सके।
2. मनरेगा योजना की विश्वसनीयता और प्रभावशीलता सुनिश्चित की जा सके।
3. ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन और विकास कार्यों में पारदर्शिता लाई जा सके।

यह मामला स्थानीय स्तर पर प्रशासनिक जवाबदेही और पारदर्शिता की आवश्यकता को रेखांकित करता है। साथ ही, यह केंद्र और राज्य सरकारों के लिए एक संकेत है कि वे मनरेगा जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं के क्रियान्वयन की निगरानी और मूल्यांकन के लिए अधिक कठोर तंत्र विकसित करें।

ग्रामीण विकास मंत्रालय से की गई उच्च स्तरीय जांच की मांग स्वागत योग्य कदम है। यह जांच न केवल इस विशिष्ट मामले में सच्चाई सामने लाएगी, बल्कि भविष्य में ऐसी अनियमितताओं को रोकने में भी मदद करेगी। साथ ही, यह जांच मनरेगा योजना में सुधार के लिए महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकती है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि योजना का लाभ वास्तव में उन लोगों तक पहुंचे, जिनके लिए इसे बनाया गया है।

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