छत्तीसगढ़ सरकार के खिलाफ बवाल, सीपीआई ने छापेमारी को ‘लोकतंत्र पर हमला’ बताया
कोरबा (आदिनिवासी)। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) ने छत्तीसगढ़ के आदिवासी नेता और पूर्व विधायक मनीष कुंजाम के घर एवं अन्य ठिकानों पर हुई छापेमारी को “लोकतांत्रिक आंदोलनों को कुचलने की साजिश” करार दिया है। सीपीआई ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार **भ्रष्टाचार उजागर करने वालों को निशाना बना रही है**, जबकि असली दोषियों को बचाया जा रहा है।
क्या हुआ, मामला क्या है?
– मनीष कुंजाम ने सुकमा जिले में तेंदूपत्ता बोनस घोटाले (3.62 करोड़ रुपए) को उजागर किया था, जिसके बाद प्रशासन ने एक वन अधिकारी को निलंबित किया।
– लेकिन 12 अप्रैल को एसीबी-ईओडब्ल्यू की संयुक्त टीम ने कुंजाम के घर और कार्यालयों पर छापा मारा।
– सीपीआई ने दावा किया कि कोई गलत सामग्री नहीं मिली, बल्कि यह “नेता को बदनाम करने की साजिश” है।
सीपीआई का बड़ा आरोप: “सरकार कॉर्पोरेट लूट को बचा रही है!”
सीपीआई जिला परिषद कोरबा की बैठक में सचिव पवन कुमार वर्मा ने कहा – “यह छापेमारी सिर्फ मनीष कुंजाम को निशाना बनाने के लिए नहीं, बल्कि आदिवासियों के अधिकारों और प्राकृतिक संसाधनों की लड़ाई को कुचलने की साजिश है। सरकार कॉर्पोरेट घरानों के हित में काम कर रही है।”
कौन हैं मनीष कुंजाम? एक नजर उनके संघर्षों पर
– सलवा जुडूम विरोधी आंदोलन: सुप्रीम कोर्ट ने इस अभियान को “अवैध” घोषित किया था, जिसमें कुंजाम की अहम भूमिका थी।
– टाटा के खिलाफ लड़ाई: लोहंडीगुड़ा में आदिवासियों की जमीन बचाने के आंदोलन में उन्होंने नेतृत्व किया, जिसके बाद टाटा को पीछे हटना पड़ा।
– रावघाट-नंदराज पहाड़ियों का संरक्षण: कांग्रेस शासन के दौरान खनन के खिलाफ आवाज उठाई।
– वर्तमान में: बस्तर की तीन लौह अयस्क खदानों को निजी कंपनियों को देने के खिलाफ आंदोलन चला रहे हैं।
सीपीआई ने क्या मांग की?
1. तेंदूपत्ता घोटाले की निष्पक्ष जांच हो।
2. जांच एजेंसियों का दुरुपयोग बंद किया जाए।
3. आदिवासी अधिकारों और प्राकृतिक संसाधनों की लूट रोकी जाए।
राजनीतिक हलकों में गहरा असर
– सीपीआई ने 4 मई 2025 को जिला सम्मेलन बुलाया है, जहां इस मुद्दे पर रणनीति बनाई जाएगी।
– वामपंथी संगठनों और आदिवासी समूहों ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
क्या यह सचमुच ‘भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई’ है या ‘विरोधियों को दबाने की रणनीति’?
सीपीआई का आरोप है कि “जो भ्रष्टाचार उजागर करता है, उसे ही प्रताड़ित किया जा रहा है।” अब देखना है कि सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है।