बिलासपुर। कोरबा जिले के कोयलांचल दीपका क्षेत्र में एसीबी पावर प्लांट/कोल वाशरी के लिए जमीन खरीदने का एक बड़ा घोटाला सामने आया है। इसमें 23 गैर आदिवासी लोगों ने फर्जी आदिवासी प्रमाण पत्र बनाकर लगभग 500 एकड़ जमीन को वास्तविक आदिवासियों से खरीद लिया। इस घोटाले की जांच के लिए एक याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई है।
हाईकोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए कुल 31 लोगों को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है। इनमें छत्तीसगढ़ शासन, राज्य शासन के सचिव, कोरबा कलेक्टर, अनुविभागीय अधिकारी, जिला स्तरीय प्रमाण पत्र सत्यापन समिति, उच्च स्तरीय प्रमाणन स्क्रूटनी कमेटी, तहसीलदार के अलावा फर्जी आदिवासी प्रमाण पत्र बनाने और जमीन खरीदने वाले लोग भी शामिल हैं। इस मामले को दबाने की कोशिश करने वालों के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं।
यह भी बताया गया है कि फर्जी आदिवासी प्रमाण पत्रों के जरिए जमीन खरीदने वाले लोगों ने हजारों करोड़ रुपए का मुआवजा भी हासिल किया है। जिन लोगों के नाम से आदिवासी प्रमाण पत्र जारी किए गए, वे कभी भी संबंधित ग्राम क्षेत्र में नहीं रहे हैं। यह एक सुनियोजित और रहस्यमय षड्यंत्र है।
राजस्व विभाग ने इस मामले में धारा 170 ख के तहत कार्रवाई करते हुए ईश्तहार भी जारी किया है और आदिवासियों की धोखे से खरीदी गई जमीन को मूल आदिवासियों को वापस करने की प्रक्रिया भी शुरू की है।
ग्राम दीपका, रतीजा, बांधाखार, नुनेरा ऐसे गांव हैं जहां पर एसीबी कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए दलालों और कुछ राजस्व अधिकारियों ने मिलकर मूल निवासी आदिवासियों के हक पर डाका डाला है। ग्राम रतीजा के लोग 23 साल बाद भी अपने गांव का मिसल बंदोबस्त, नक्शा, अधिकार अभिलेख प्राप्त करने के लिए प्रयासरत हैं जो कि उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए गायब कर दिया गया है।