शुक्रवार, नवम्बर 22, 2024

सालभर में ही टूटने लगा लाखों का पुल: आदिवासी क्षेत्र में बढेंगी समस्याएं!

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60 लाख की लागत से बने पुल की हालत ने प्रशासनिक कामों पर सवाल उठाए

कोरबा (आदिनिवासी)। ग्राम पंचायत बेला के अंतर्गत स्थित आश्रित ग्राम खेतारपारा, जो आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है, इन दिनों एक गंभीर समस्या का सामना कर रहा है। इस गाँव का बाहरी दुनिया से जुड़ने का एकमात्र मार्ग है, जिस पर लगभग एक वर्ष पूर्व एक पुल का निर्माण किया गया था। अब यह पुल टूटने की कगार पर है, जिससे गाँव के लोगों में चिंता बढ़ गई है, खासकर बरसात के मौसम में जब नदी का पानी तेज बहाव के साथ बहता है और आवागमन कठिन हो जाता है।

बेला पंचायत और खेतारपारा के निवासी पंच रतन सिंह माझावर ने बताया कि करीब 60 लाख रुपये की लागत से इस पुल का निर्माण किया गया था। लेकिन, निर्माण में गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा गया, जिसके कारण यह पुल महज एक साल में ही टूटने लगा है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर यह पुल पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया, तो उनकी समस्याएँ और बढ़ जाएंगी। यह पुल न केवल गाँव को बाहरी दुनिया से जोड़ता है, बल्कि यही रास्ता बच्चों को स्कूल तक पहुँचाने और ग्रामीणों को आवश्यक सुविधाओं के लिए आने-जाने का भी एकमात्र साधन है।

गाँव की निवासी नोनी बाई ने बताया कि खेतारपारा में एक प्राथमिक विद्यालय और आंगनवाड़ी भी संचालित है, जहाँ बच्चे शिक्षा प्राप्त करने जाते हैं और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता नियमित रूप से आते हैं। अगर यह पुल नहीं रहेगा, तो इन सभी के लिए गाँव तक पहुँच पाना बहुत मुश्किल हो जाएगा, जिसकी वजह से सभी चिंतित हैं।

ग्रामीणों ने प्रशासन से अपील की है कि इस पुल की मरम्मत जल्द से जल्द की जाए, ताकि उन्हें आने-जाने में परेशानी का सामना न करना पड़े। उनका कहना है कि यह एकमात्र रास्ता है जो उनके जीवन को बाहरी दुनिया से जोड़ता है, और इसके बिना उनका जीवन ठहर जाएगा।

इस घटना पर नजर डालें तो यह स्पष्ट है कि सरकारी परियोजनाओं में गुणवत्ता की अनदेखी और निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार जैसी समस्याएँ ग्रामीणों के लिए भारी मुसीबत बनती जा रही हैं। एक साल पहले ही बना पुल आज टूटने की कगार पर है, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या सरकारी योजनाओं के तहत हो रहे कार्यों में सही निरीक्षण और निगरानी होती है? आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण इन ग्रामीणों की समस्याएँ और भी गंभीर हो जाती हैं, क्योंकि उनके पास संसाधनों की पहले से ही कमी है।

सरकार और प्रशासन की यह जिम्मेदारी बनती है कि ऐसे महत्वपूर्ण ढांचों के निर्माण में न केवल गुणवत्ता का ध्यान रखें, बल्कि समय-समय पर निरीक्षण कर उनकी स्थिति की जाँच करें। यह पुल केवल एक भौतिक संरचना नहीं है, बल्कि गाँव के बच्चों की शिक्षा, ग्रामीणों की आजीविका और उनके जीवन से जुड़ा एक अहम साधन है। इस मामले में तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि ग्रामीणों की दिक्कतें कम हो सकें और उन्हें आने-जाने में कोई परेशानी न हो।

इस मुद्दे को अगर जल्द नहीं सुलझाया गया तो यह ग्रामीणों के दैनिक जीवन पर गंभीर असर डाल सकता है।

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