कोरबा (आदिनिवासी)। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में एक आदिवासी किसान के साथ हुई मारपीट की घटना ने तूल पकड़ लिया है। बांकीमोंगरा थाना परिसर में भाजपा नेत्री ज्योति महंत और उनके सहयोगियों द्वारा कथित तौर पर ग्राम बरेडिमुड़ा के आदिवासी किसान बलवंत सिंह कंवर के साथ मारपीट, जातिगत टिप्पणी और अवैध वसूली का मामला सामने आया है। इस घटना से सर्व आदिवासी समाज में आक्रोश व्याप्त है, और उन्होंने पुलिस प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। दूसरी ओर, भाजपा नेत्री और उनके समर्थक बचाव की कोशिश में जुट गए हैं।
घटना का विवरण: अपमान और अन्याय की कहानी
7 जून 2025 को रावणभाठा मैदान मार्ग पर भाजपा नेत्री ज्योति महंत और उनके सहयोगियों ने कथित तौर पर आदिवासी किसान बलवंत सिंह कंवर के साथ गाली-गलौच और जातिवादी टिप्पणी की। इसके बाद उन्हें घसीटते हुए थाना परिसर तक ले जाया गया, जहां चौंकाने वाली बात यह है कि पुलिस की मौजूदगी में भी उनके साथ दुर्व्यवहार और मारपीट की गई। वायरल वीडियो में ज्योति महंत को अपमानजनक और जातिवादी भाषा का इस्तेमाल करते हुए सुना और देखा जा सकता है।
सर्व आदिवासी समाज का आरोप है कि पुलिस ने न तो पीड़ित को सुरक्षा प्रदान की और न ही कानून-व्यवस्था को बनाए रखने की कोशिश की। इतना ही नहीं, पीड़ित से समझौते के नाम पर 4,500 रुपये की अवैध वसूली भी की गई। इस घटना ने न केवल एक व्यक्ति, बल्कि पूरे आदिवासी समुदाय की अस्मिता और गरिमा पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

सर्व आदिवासी समाज की मांगें
सर्व आदिवासी समाज, कोरबा ने इस घटना के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए पुलिस प्रशासन को ज्ञापन सौंपा और निम्नलिखित मांगें रखीं:
1. तत्काल कार्रवाई: भाजपा नेत्री ज्योति महंत और उनके सहयोगियों पर SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की संगत धाराओं के तहत FIR दर्ज कर गिरफ्तारी सुनिश्चित की जाए।
2. पीड़ित को सहायता: बलवंत सिंह कंवर को पुलिस सुरक्षा, चिकित्सा सहायता और 1 लाख रुपये का मुआवजा तुरंत प्रदान किया जाए।
3. साक्ष्य संरक्षण: थाना परिसर की सीसीटीवी फुटेज को सबूत के रूप में सुरक्षित रखकर जांच में शामिल किया जाए।
4. उच्च स्तरीय जांच: बांकीमोंगरा थाने की कार्यप्रणाली की निष्पक्ष और उच्च स्तरीय जांच कराई जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
सर्व आदिवासी समाज ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन ने इस मामले में निष्पक्ष कार्रवाई नहीं की, तो जिला स्तर पर उग्र जन आंदोलन शुरू किया जाएगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।
राजनीतिक रंग: समर्थन और विरोध
इस मामले ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है। रामपुर के कांग्रेस विधायक फूल सिंह राठिया ने पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर निष्पक्ष जांच और कार्रवाई की मांग की है। वहीं, भाजपा के कुछ पदाधिकारी और समर्थक सोशल मीडिया पर ज्योति महंत के बचाव में उतर आए हैं। दूसरी ओर, ज्योति महंत और उनके सहयोगी भाजपा महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष के साथ पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचे, जिसे उनकी संभावित गिरफ्तारी से बचने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
पुलिस की भूमिका पर सवाल
सर्व आदिवासी समाज ने पुलिस प्रशासन पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि क्या छत्तीसगढ़ पुलिस अब राजनीतिक दबाव में कानून की रक्षा के बजाय उसका मखौल उड़ाने वालों का संरक्षण कर रही है? थाना परिसर में हुई इस घटना ने पुलिस की निष्पक्षता और जवाबदेही पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आदिवासी समाज का मानना है कि यह घटना न केवल एक व्यक्ति पर हमला है, बल्कि पूरे आदिवासी समुदाय की अस्मिता और सम्मान पर प्रहार है।
भावनात्मक अपील: न्याय की गुहार
बलवंत सिंह कंवर जैसे मेहनतकश आदिवासी किसान, जो अपनी जमीन और परिवार के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं, के साथ इस तरह का व्यवहार न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि समाज में गहरी असमानता और भेदभाव की तस्वीर को उजागर करता है। सर्व आदिवासी समाज का कहना है, “यह सिर्फ एक व्यक्ति की पिटाई नहीं, बल्कि हमारे सम्मान और अस्तित्व पर हमला है। हम चुप नहीं रहेंगे।”
अब आगे क्या?
इस घटना ने कोरबा जिले में तनाव की स्थिति पैदा कर दी है। सर्व आदिवासी समाज ने प्रशासन को स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वे उग्र आंदोलन के लिए मजबूर होंगे। दूसरी ओर, पुलिस और प्रशासन पर निष्पक्ष जांच और कार्रवाई का दबाव बढ़ता जा रहा है। यह मामला न केवल कानूनी, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी संवेदनशील हो गया है।
क्या बलवंत सिंह कंवर को न्याय मिलेगा? क्या प्रशासन इस मामले में निष्पक्षता दिखाएगा? ये सवाल कोरबा की जनता के मन में कौंध रहे हैं। आने वाले दिनों में इस मामले का परिणाम न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज और प्रशासन के रिश्तों को प्रभावित कर सकता है।