कोरबा (आदिनिवासी)। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के रजत जयंती वर्ष 2025-26 के अवसर पर बालिकाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण को केंद्र में रखकर “बालिका सुरक्षा माह” मनाया जा रहा है। कलेक्टर अजित वसंत के निर्देशन और महिला एवं बाल विकास विभाग की सक्रिय भागीदारी से जिलेभर में जन-जागरूकता की अनेक गतिविधियां संचालित की जा रही हैं।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के आंकड़ों के अनुसार, बालिकाओं के प्रति हिंसा और शोषण की घटनाएं अब भी चिंता का विषय हैं। यही वजह है कि बालिकाओं की सुरक्षा, अधिकारों की रक्षा और उनके लिए एक सक्षम एवं सुरक्षित वातावरण तैयार करना आज समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी रेनु प्रकाश ने बताया कि रजत जयंती वर्ष में विभागीय योजनाओं का प्रचार-प्रसार और जन-जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से यह अभियान विशेष रूप से चलाया जा रहा है।
अभियान के दौरान आंगनबाड़ी से लेकर ग्राम पंचायत और स्कूलों तक विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इनमें शामिल हैं –
पोषण और कुपोषण से मुक्ति हेतु खेल-खेल में सीखने की गतिविधियां
प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना पंजीयन अभियान
बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान
पॉक्सो अधिनियम जागरूकता शिविर (लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण)
पोषण भी, पढ़ाई भी अभियान
किशोरी सशक्तिकरण और साइबर सुरक्षा कार्यशालाएं
महिलाओं व बालिकाओं के स्वास्थ्य परीक्षण एवं पोषण पर कार्यक्रम
जेन्डर समानता और अधिकारों पर विशेष चर्चा
फॉस्टर केयर, दत्तक ग्रहण और स्पॉन्सरशिप योजनाओं का प्रचार-प्रसार
इसके साथ ही, बच्चों और महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों और आपातकालीन सेवाओं (1098 चाइल्ड हेल्पलाइन, 181 महिला हेल्पलाइन, 112 आपात सेवा) की जानकारी भी दी जा रही है।
मुख्यमंत्री द्वारा 10 मार्च 2024 को बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान की शुरुआत की गई थी। इसके तहत वर्ष 2025-26 तक राज्य की 40 प्रतिशत ग्राम पंचायतें और नगरीय निकाय बाल विवाह मुक्त किए जाने का लक्ष्य है। वहीं, 21 मार्च 2029 तक पूरे प्रदेश को बाल विवाह मुक्त बनाने का संकल्प लिया गया है।
जागरूकता गतिविधियों को सफल बनाने के लिए जिला बाल संरक्षण इकाई, चाइल्ड हेल्पलाइन, मिशन शक्ति, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सेक्टर पर्यवेक्षक सहित विभिन्न विभागों का आपसी समन्वय सुनिश्चित किया गया है।
बालिका सुरक्षा माह केवल एक औपचारिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह एक मानव-केंद्रित प्रयास है, जो बेटियों को न केवल सुरक्षा बल्कि समान अवसर और सम्मानजनक जीवन देने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह पहल समाज को यह याद दिलाती है कि बालिकाओं की सुरक्षा सिर्फ सरकार की नहीं, बल्कि पूरे समुदाय की साझा जिम्मेदारी है।