शुक्रवार, जून 6, 2025

छत्तीसगढ़ की आदिवासी महिलाओं के लिए त्योहारों में लौटी रौनक!

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आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं के जीवन में आशा और राहत का संचार

कोरबा (आदिनिवासी)| छत्तीसगढ़ के वनांचल क्षेत्र में त्योहार अब एक नई उम्मीद के साथ दस्तक दे रहे हैं। पिछली दीपावली में जब आर्थिक रूप से कमजोर आदिवासी महिलाएं केवल सोचती थीं कि अगर साधन होते, तो वे भी त्योहार मना पातीं, वहीं अब महतारी वंदन योजना ने उनकी उम्मीदों को पंख दे दिए हैं।

त्योहारों में आई मुस्कान की लहर

पहाड़ी कोरवा समुदाय की दशरी बाई, जो कोरबा जिले के दूरस्थ गांव में रहती हैं, अब हर महीने अपने खाते में एक हजार रुपये पाकर त्योहारों के प्रति नई उम्मीद से भर गई हैं। दशरी बाई कहती हैं, “पहले हर त्यौहार केवल देखने और मन मसोसने का मौका था। खाली हाथ होने की वजह से न कोई पकवान बना सकते थे, न नए कपड़े खरीद सकते थे। लेकिन अब इस राशि से कुछ जरूरी सामान ले पाती हूँ और त्योहार के मौके पर घर में कुछ विशेष पकवान भी बनाऊंगी।”

जीवन में नई राह और आर्थिक मजबूती

कामता बाई, जो कि डोकरमना गांव में रहती हैं, जहां रोजगार मिलना बहुत कठिन है, हर महीने महतारी वंदन योजना से मिलने वाले एक हजार रुपये के कारण राहत महसूस करती हैं। “ये एक हजार रुपये हमारे लिए बड़ी रकम है। इस बार दीपावली पर मेरे पास अपने घर और बच्चों के लिए कुछ खास पकवान बनाने की सहूलियत होगी, जो पहले सोचना भी मुश्किल था,” उन्होंने उत्साहित होकर कहा। अब उन्हें अपने और परिवार के लिए थोड़ा अतिरिक्त खर्च करने का मौका मिल रहा है, जिससे त्योहारों की खुशियां उनके लिए भी मुमकिन हो पाई हैं।

रोजमर्रा की जरूरतों के साथ-साथ पर्वों का संबल

पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड के अंतिम छोर के गांव पतुरियाडाँड़ की वृद्धा रामबाई ने भी इस योजना से मिलने वाली आर्थिक सहायता को अपनी सबसे बड़ी ताकत बताया। “हर महीने खाते में पैसे आने का भरोसा हमें अपने पैरों पर खड़ा कर रहा है। अब हम त्योहार के समय में दूसरों के आगे हाथ फैलाने की बजाय खुद अपनी जरूरतें पूरी कर सकते हैं,” रामबाई ने कहा।

महतारी वंदन योजना ने आदिवासी क्षेत्रों की आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को त्योहारों में वह खुशियां दी हैं, जो साधन न होने की वजह से अब तक उनसे दूर थीं। यह राशि अब उनके जीवन में न केवल रोजमर्रा की जरूरतों के लिए बल्कि त्योहारों की खुशियों के लिए भी संजीवनी बन गई है। छत्तीसगढ़ सरकार की इस पहल ने इन आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को अपने परिवार के साथ त्योहार मनाने और आत्मनिर्भरता की नई राह पर चलने का मौका दिया है।

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